Naresh Bhagoria
4 Dec 2025
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Manisha Dhanwani
4 Dec 2025
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मनीष दीक्षित
भोपाल। मध्यप्रदेश में पहली बार मुख्य सचिवों को एक्सटेंशन देने की हैट्रिक लग सकती है। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन का कार्यकाल इसी माह समाप्त होने वाला है। सत्ता के गलियारों में पिछले एक माह से यह सवाल घूम रहा है कि अनुराग जैन को एक्सटेंशन मिलेगा या नहीं? यदि उन्हें सेवावृद्धि मिलती है तो प्रदेश के लगभग 69 सालों के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा, जब लगातार तीन मुख्य सचिवों को एक्सटेंशन दिया गया हो। स्वच्छ छवि वाले अनुराग जैन हमेशा अपनी बेहतर कार्यप्रणाली के लिए चर्चा में रहे हैं। अनुराग जैन के पहले पूर्व मुख्य सचिव वीरा राणा और इकबाल सिंह बैंस को एक्सटेंशन मिल चुका है। वीरा राणा की सेवावृद्धि डॉ. मोहन यादव की सरकार ने की थी, जबकि इकबाल सिंह बैंस को एक्सटेंशन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिया था।
दरअसल मुख्यसचिवों को एक्सटेंशन के मामले में शिवराज कुछ ज्यादा ही दिलदार थे। उनके कार्यकाल के दौरान जितने भी मुख्य सचिव रहे उन्हें या तो एक्सटेंशन दिया गया या तत्काल कोई बड़ी जिम्मेदारी दी गई। उनके कार्यकाल के दौरान सात मुख्य सचिव रहे और उनमे से केवल अवनि वैश्य ही ऐसे रहे जिन्हें रिटायरमेंट के बाद न ही एक्सटेंशन दिया गया और न ही कोई पद। दरअसल आजकल मुख्य सचिवों का एक्सटेंशन देशभर में एक नॉर्मल प्रक्रिया बन गई है। हाल ही में केंद्र सरकार ने हरियाणा के मुख्य सचिव को एक वर्ष का और हमारे पड़ोसी छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को 3 माह का एक्सटेंशन दिया है। हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक्सटेंशन नहीं दिया गया।
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, अभी तक प्रदेश की ओर से एक्सटेंशन का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा गया है, पर मुख्य सचिव के करीबियों का दावा है कि जैन को अपनी प्रतिनियुक्ति के दौरान किए गए कामों का परिणाम अवश्य मिलेगा। माना जा रहा है कि दिल्ली वालों के हस्तक्षेप से ही ऐन टाइम पर वे मुख्य सचिव बने थे। प्रदेश में पहला एक्सटेंशन 1991 में और दूसरा 2013 में दिया गया। मतलब प्रदेश बनने के 35 वर्षों बाद पहली बार किसी मुख्य सचिव को सेवावृद्धि दी गई और दूसरे एक्सटेंशन के लिए 22 वर्षों का इंतजार हुआ। पिछले बारह वर्षों में तीन अधिकारियों को एक्सटेंशन दिया गया है। यह भी दिलचस्प है कि प्रदेश में सारे एक्सटेंशन भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने ही दिए। कांग्रेस सरकार के दौरान रिटायरमेंट के बाद उन्हें कोई पद दे दिया जाता था।