Aniruddh Singh
26 Oct 2025
मुंबई। अमेरिकी अखबर वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अचानक चर्चा में आ गई है। वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वित्तमंत्रालय के निर्देश पर एलआईसी ने अडाणी समूह को सहारा देने के लिए उसकी कंपनियों में निवेश किया। लेकिन, तथ्यों के आधार पर अब यह स्पष्ट हो गया है कि इन निवेशों का नेतृत्व भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने नहीं, बल्कि अमेरिकी और अन्य वैश्विक बीमा कंपनियों ने किया है। भारत की जीवन बीमा कंपनी के अडाणी समह में निवेश को लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही आलोचना के बीच सामने आए नवीनतम आंकड़ों से साफ हो जाता है कि हाल के दिनों में अडाणी समूह की सबसे बड़ी फंडिंग एलआईसी से नहीं, विदेशी बीमा संस्थाओं से आई है।
जून 2025 में, जब एलआईसी ने अडाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड में लगभग ₹5,000 करोड़ (570 मिलियन डॉलर) का निवेश किया, ठीक उसी समय अमेरिकी कंपनी एथीन इंस्योरेंस ने मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एमआईएएल) में ₹6,650 करोड़ (750 मिलियन डॉलर) का ऋण निवेश किया। यह निवेश अकेले एथीन का नहीं-इसके साथ कई अन्य अंतरराष्ट्रीय बीमा कंपनियों ने भी भाग लिया। एथीन की पैरेंट कंपनी अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट ने 23 जून को कहा कि उसके प्रबंधित फंड्स और साझेदारों ने यह इन्वेस्टमेंट ग्रेड रेटेड फाइनेंसिंग पूरी की है। यह अपोलो की एमआईएएल में दूसरी बड़ी फंडिंग थी। इससे पहले भी कंपनी ने एयरपोर्ट प्रबंधन को कर्ज घटाने और परिचालन लचीलापन बढ़ाने के लिए पूंजी उपलब्ध कराई थी।
इसी दौरान, अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने भी लगभग 250 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया, जिसमें डीबीएस बैंक, डीजेड बैंक, राबोबैंक और बैंक सिनोपैक जैसे वैश्विक ऋणदाता शामिल थे। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की अगस्त रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में अडाणी समूह ने कुल 10 अरब डॉलर से अधिक की नई क्रेडिट सुविधाएं हासिल कीं, जिनमें अडाणी पोर्ट्स, अडाणी ग्रीन एनर्जी, अडाणी एंटरप्राइजेज और अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस जैसी प्रमुख इकाइयां शामिल थीं। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट ने दावा किया गया है कि सरकार ने एलआईसी के निवेश निर्णयों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डाला, जबकि वैश्विक निवेशक अडानी समूह में निवेश करने से हिचक रहे थे। एलआईसी ने इस रिपोर्ट को झूठा, आधारहीन और तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि उसके सभी निवेश स्वतंत्र रूप से, बोर्ड-स्वीकृत नीतियों के अनुसार और विस्तृत ड्यू डिलिजेंस प्रक्रिया के बाद किए जाते हैं।
एलआईसी ने बताया कि उसके निवेश निर्णय हमेशा कंपनियों की बुनियादी वित्तीय स्थिति पर आधारित होते हैं। 2014 से अब तक, भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में उसके निवेश का मूल्य ₹1.56 लाख करोड़ से बढ़कर ₹15.6 लाख करोड़ हो गया है। अडाणी समूह में एलआईसी की हिस्सेदारी समूह की कुल ₹2.6 लाख करोड़ की देनदारी का 2% से भी कम है। वास्तव में, एलआईसी की सबसे बड़ी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज़, आईटीसी, टाटा समूह, एचडीएफसी बैंक और एसबीआई में है, न कि अडाणी समूह में। उदाहरण के तौर पर, एलआईसी के पास अडाणी ग्रुप के लगभग ₹60,000 करोड़ के शेयर हैं, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज में उसका निवेश ₹1.33 लाख करोड़, आईटीसी में ₹82,800 करोड़, एचडीएफसी बैंक में ₹64,700 करोड़, एसबीआई में ₹79,000 करोड़ और टीसीएस में ₹5.7 लाख करोड़ का है।
पूर्व एलआईसी चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने दोहराया कि सरकार का किसी भी निवेश निर्णय पर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव नहीं होता। वहीं, अडानी समूह के सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने व्यंग्य करते हुए कहा वॉशिंगटन पोस्ट का वित्त पर लिखना वैसा ही है जैसे जेफ बेजोस और मैं बालों की देखभाल पर लिखें, 100% हास्यास्पद। अडाणी समूह से वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में अनेक तथ्यात्मक त्रुटियां हैं और कंपनी ने जून में 450 मिलियन डॉलर का बायबैक कर ऋण की अग्रिम अदायगी की थी, न कि कोई रिफाइनेंशिंग। विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक बीमा कंपनियां अब तेजी से ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर एसेट्स में निवेश कर रही हैं, जो स्थिर और दीर्घकालिक रिटर्न देते हैं। भारत के तेजी से बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में इन अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ती जा रही है। भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अडाणी समूह अग्रणी भूमिका निभा रहा है।