Aniruddh Singh
7 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत सरकार की जांच एजेंसियां अडाणी एंटरप्राइजेज की सहायक कंपनी अडाणी डिफेन्स सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज के खिलाफ आयात कर चोरी के मामले की जांच कर रही हैं। यह जांच लगभग 9 मिलियन डॉलर (करीब 77 करोड़ रुपए) की कर चोरी से जुड़ी है, जो मिसाइल पार्ट्स के गलत वर्गीकरण के जरिए कथित तौर पर की गई बताई जा रही है। यह जांच राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने मार्च 2025 में शुरू की थी। एजेंसी का आरोप है कि कंपनी ने कुछ मिसाइल घटकों को ऐसे वर्ग में रखा, जिससे उन्हें सीमा शुल्क से छूट मिल गई, जबकि वास्तव में उन पर कर लगना चाहिए था। सूत्रों के अनुसार, यह मामला छोटे रेंज की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के पार्ट्स से जुड़ा है, जिन पर 10% आयात कर और 18% स्थानीय कर लागू होता है।
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अडाणी डिफेन्स ने इन्हें लंबे रेंज की मिसाइलों के पुर्जों के रूप में वर्गीकृत कर दिया, जो पहले के नियमों के अनुसार टैक्स-मुक्त थे। यह कथित गलत वर्गीकरण कंपनी को सीमा शुल्क से बचने में मदद करता था। जांच के दौरान कंपनी के कुछ अधिकारियों ने इस गलत वर्गीकरण को स्वीकार किया है, हालांकि अडाणी समूह ने इस पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है। अडाणी समूह ने अपने बयान में कहा डीआरआई ने आयात दस्तावेजो पर कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे, जिन्हें कंपनी ने आवश्यक कागजों के साथ जमा कर दिया है और कंपनी के अनुसार यह मुद्दा अब समाप्त माना जाना चाहिए। हालांकि समूह ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या उसने कर की अदायगी की या किसी जुर्माने का भुगतान किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी डिफेन्स की कुल वार्षिक आय (FY2024–25) लगभग $76 मिलियन रही थी और $9 मिलियन का यह कथित टैक्स चोरी का आंकड़ा उसकी कुल आय का 10% से अधिक है। सामान्य तौर पर ऐसे मामलों में कंपनी ने जितना कर बचाया है, उतनी ही राशि उसे पेनाल्टी के रूप में चुकानी पड़ती है। इसका मतलब है कि अगर आरोप साबित होते हैं तो अडाणी डिफेन्स पर लगभग $18 मिलियन (करीब 155 करोड़ रुपए) की देनदारी बन सकती है। अडाणी समूह पहले भी कई नियामकीय जांचों के दायरे में रहा है। हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर मूल्य हेरफेरी से जुड़े दो मामलों में अडाणी समूह को क्लीन चिट दी थी, लेकिन अभी भी उसके खिलाफ दर्जनों वित्तीय और नियामकीय जांचें जारी हैं।
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इसके अलावा, राजस्व एजेंसी 2014 से अडाणी समूह की कोयला आयात में अधिक मूल्यांकन (over-invoicing) से जुड़ी जांच भी कर रही है, जिसे लेकर कंपनी ने कानूनी चुनौतिया दी हैं। जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि विवादित मिसाइल पार्ट्स रूस से आयात किए गए थे और इनमें कोई विस्फोटक तत्व नहीं था। ये पार्ट्स छोटे रेंज की मिसाइलों और उनके लॉन्चिंग सिस्टम के सहायक उपकरण थे। वाणिज्यिक रिकॉर्ड्स के अनुसार, अडाणी डिफेन्स ने पिछले एक वर्ष में रूस से लगभग $32 मिलियन के मिसाइल पार्ट्स और अन्य डिफेन्स उपकरण आयात किए हैं, जबकि जनवरी 2024 से अब तक समूह ने रूस, इजराइल और कनाडा जैसे देशों से कुल $70 मिलियन के रक्षा उपकरण खरीदे हैं। बता दें यह मामला देश के रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी और पारदर्शिता को लेकर एक महत्वपूर्ण परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है। अडानी समूह का कहना है कि उसने सभी नियमों का पालन किया है, जबकि जांच एजेंसी अब भी तथ्यों की पुष्टि में जुटी हुई है।