Shivani Gupta
18 Oct 2025
Aakash Waghmare
18 Oct 2025
Aditi Rawat
18 Oct 2025
Aakash Waghmare
18 Oct 2025
प्रवीण श्रीवास्तव
भोपाल। राजधानी में हर साल जितनी गर्भवती महिलाएं बच्चों को जन्म दे रही हैं, उनमें से लगभग आधी महिलाओं के बारे में स्वास्थ्य विभाग को कोई जानकारी ही नहीं हैं। इनमें से कितनी महिलाएं स्वस्थ हैं और कितनी एनीमिया सहित अन्य दिक्कतों से पीड़ित हैं, इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। दरअसल, यह वे महिलाएं हैं, जो गर्भावस्था के दौरान जांच के लिए निजी अस्पतालों में जाती हैं। गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच के नतीजे सामने नहीं आने से सूबे का स्वास्थ्य विभाग समय पर उनकी चिकित्सा का प्रबंध नहीं कर पा रहा है। प्रदेशमें प्रति एक लाख प्रसव में से 159 गर्भवती महिलाओं की मृत्यु होने का औसत है, जो देश में सबसे ज्यादा है। स्वास्थ्य विभाग इस स्थिति में सुधार का प्रयास कर रहा है, लेकिन इसमें गर्भवती महिलाओं की सही-सही जानकारी नहीं मिलना एक बड़ी समस्या बनी हुई है। यही वजह है अब निजी अस्पतालों को भी अनमोल पोर्टल 2 पर गर्भवती महिलाओं के बारे में जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। गर्भवती महिलाओं की जानकारी जुटाने के मामले में सूबे की राजधानी भोपाल प्रदेश मे सबसे पीछे है।
ऐसे में निजी अस्पतालों को भी गर्भवती महिलाओं की जानकारी सरकार के अनमोल पोर्टल 2 में अपलोड करने के निर्देश हैं, लेकिन इस पर प्रभावी अमल नहीं हो पा रहा है। गर्भवती महिलाओं से स्वास्थ्य की जानकारी इस लिए जुटाई जा रही है क्योंकि मातृ मृत्युदर यानी एमएमआर में सबसे ज्यादा मौतें मध्य प्रदेश में ही हो रही हैं। बीते दिनों इस स्थिति को सुधारने के लिए आयोजित एक समीक्षा बैठक में एक कारण यह भी सामने आया कि निजी अस्पताल गर्भवती महिलाओं की जानकारी नहीं दे रहे हैं। इस लिए उनकी ठीक से मानीटरिंग नहीं हो पा रहे है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक अनमोल पोर्टल 2 में रजिस्ट्रेशन होने के बाद स्वास्थ्य विभाग को गर्भवती महिलाओं की हर स्थिति की जानकारी मिलेगी। ऐसे में अगर महिला में खून की कमी या अन्य कोई समस्या होती है, तो विभाग आवश्यक कदम उठा सकेगा। यही नहीं, इन महिलाओं को मिलने वाली सरकारी सहायता भी मिल सकेगी।
जानकारी के मुताबिक गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन और उनकी स्वास्थ्य जांच के मामले में भोपाल प्रदेश में सबसे निचले स्तर पर है। प्रदेश में बीते साल यानी अप्रैल से अगस्त 24 के मुकाबले इस साल गर्भवती महिलाओं के 18 हजार कम रजिस्ट्रेशन हुए हैं। इनमें से भी सिर्फ 15 फीसदी एनीमिक महिलाओं की खोज की जा सकी है।
सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस 22) के मुताबिक मप्र में एक लाख प्रसव में से 159 गर्भवती महिलाओं की मृत्यु हो जाती है, जो देश में सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 88 है। स्वास्थ्य विभाग 2030 तक इसे 70 तक लाने का प्रयास कर रहा है।
अप्रैल से अगस्त 2024 की तुलना में अप्रैल से अगस्त 2025 के दौरान रजिस्ट्रेशन के मामले में कई जिलों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। भोपाल जिले में पिछले वर्ष की इसी अवधि में 25,933 रजिस्ट्रेशन हुए थे, जबकि इस वर्ष यह घटकर केवल 7,755 रह गए, यानी 18,179 की कमी दर्ज की गई। सागर में भी गिरावट देखने को मिली, जहां पिछले साल 26,130 रजिस्ट्रेशन थे, जबकि इस वर्ष यह संख्या घटकर 17,528 रह गई, जिससे 8,602 का अंतर आया। रतलाम जिले में 14,998 से घटकर 8,343 रजिस्ट्रेशन हुए और यहां 6,655 की कमी रही। विदिशा में 15,372 से घटकर 9,204 रजिस्ट्रेशन हुए, यानी 6,168 का अंतर रहा। इसी तरह सतना में 22,221 रजिस्ट्रेशन के मुकाबले इस बार केवल 16,243 रजिस्ट्रेशन हुए और यहां 6,978 की कमी दर्ज की गई।
मॉडरेट एनीमिया के मामलों की स्थिति को देखें तो कुछ जिले पिछड़े दिखाई देते हैं। भोपाल जिले में 7,615 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन हुआ, जिनमें से 1,107 में मॉडरेट एनीमिया के केस पाए गए। सागर जिले में 17,194 गर्भवती पंजीकृत हुईं और इनमें से 2,668 में यह समस्या सामने आई। उज्जैन जिले में 13,981 गर्भवतियों का पंजीयन हुआ, जिनमें 2,285 महिलाओं में मॉडरेट एनीमिया दर्ज किया गया। सतना जिले में 15,906 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन हुआ, और इनमें से 2,615 मामलों में एनीमिया पाया गया। वहीं विदिशा में 9,098 पंजीकृत गर्भवतियों में से 1,578 में मॉडरेट एनीमिया के केस सामने आए।
अनमोल आरसीएच पोर्टल में गर्भवती महिलाओं के पंजीकरण, हाई-रिस्क गर्भावस्था की पहचान, प्रसव संबंधी रिकॉर्ड, नवजात एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की एंट्री की जाती है। प्रत्येक महिला की निगरानी की जाती है। अनमोल 2.0 के माध्यम से जननी सुरक्षा योजना, श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना के भुगतान को समग्र ई-केवायसी पर आधारित बनाया गया है।