Aniruddh Singh
26 Sep 2025
नई दिल्ली। दूर संचार सेवा प्रदाता कंपनी वोडाफोन आइडिया का समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में टल गया है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने कंपनी की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें उसने दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा मांगे गए 9,450 करोड़ रुपए के अतिरिक्त एजीआर बकाए को चुनौती दी है। इस मामले की सुनवाई अब 6 अक्टूबर को होगी। इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से स्थगन की मांग की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
कंपनी का तर्क है कि दूरसंचार विभाग की ओर से उठाया गया यह दावा असंगत और दोहरावपूर्ण है। वोडाफोन आइडिया का कहना है कि यह मांग सुप्रीम कोर्ट के पहले दिए गए एजीआर आदेश के दायरे से परे है। कंपनी ने यह भी बताया कि 9,450 करोड़ रुपए में से 2,774 करोड़ रुपए पोस्ट-मर्जर वोडाफोन आइडिया पर आधारित हैं, जबकि 5,675 करोड़ रुपए पुराने वोडाफोन समूह की पूर्व-मर्जर देनदारियों से जुड़े हैं।
कंपनी चाहती है कि बकाया की दोबारा सुलह की जाए क्योंकि पहले के खातों को अंतिम रूप देते समय कई आंकड़े दोहराए गए और विसंगतियां पैदा हुई हैं। दूसरी ओर, दूरसंचार विभाग का कहना है कि यह कोई पुनर्मूल्यांकन नहीं है, बल्कि लंबित खातों को बंद करते समय किए गए समायोजन का परिणाम है। यानी दूरसंचारविभाग का रुख यह है कि यह बकाया पूरी तरह वैध है और कंपनी को इसका भुगतान करना ही होगा। यह मामला वोडाफोन आइडिया के लिए बेहद अहम है, क्योंकि कंपनी अभी फंड जुटाने के लिए बैंकों और निवेशकों से बातचीत कर रही है। कंपनी का कहना है कि एजीआर विवाद पर स्पष्टता न होने के कारण फंडिंग में देरी हो रही है। उनका मानना है कि जैसे ही अदालत या सरकार से इस पर समाधान मिलेगा, कंपनी अतिरिक्त पूंजी जुटा सकेगी और अपने निवेश व कारोबारी रणनीति को आगे बढ़ा पाएगी।
वोडाफोन आइडिया पहले भी कई राहत उपायों का लाभ ले चुकी है। इनमें स्पेक्ट्रम भुगतान स्थगन और देनदारियों को इक्विटी में बदलने जैसे कदम शामिल हैं। इसके बावजूद कंपनी पर अभी भी भारी वित्तीय दबाव बना हुआ है। अगर यह एजीआर विवाद जल्द नहीं सुलझा तो इसके चलते कंपनी की फंडिंग योजना और अधिक विलंबित हो सकती है, जिससे नेटवर्क विस्तार और पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) पर असर पड़ेगा। कंपनी लगातार सरकार और अदालत से अपील कर रही है कि इस मामले को मार्च से पहले निपटाया जाए, ताकि और देरी न हो।
यदि समय पर निर्णय नहीं आया, तो वोडाफोन आइडिया की वित्तीय स्थिति और कठिन हो सकती है। इस विवाद का असर केवल कंपनी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे दूरसंचार सेक्टर पर पड़ेगा क्योंकि इससे निवेशकों का भरोसा भी प्रभावित होता है। यह मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं बल्कि वोडाफोन आइडिया के अस्तित्व और भविष्य से जुड़ा है। एजीआर विवाद के समाधान के बिना कंपनी की फंडिंग रुक गई है, जबकि टेलीकॉम बाजार में जियो और एयरटेल जैसी कंपनियां लगातार अपनी स्थिति मजबूत कर रही हैं।