Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
राजीव सोनी,भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने अब आयुर्वेद दवाओं की गुणवत्ता को लेकर पहली बार सख्त मॉनिटरिंग के साथ पड़ताल शुरू की है। प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर और आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों को सतर्कता संबंधी आदेश जारी किए गए हैं। शासकीय लैब में अस्पतालों और प्राइवेट सेक्टर की दवाओं का परीक्षण होगा। प्रदेश में पहली बार 7 आयुर्वेद मेडिसिन पर प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें से कई दवाएं बिना डॉक्टर के परामर्श के लोग ले लेते हैं। आयुष विभाग के मंत्री इंदरसिंह परमार भी मानते हैं आयुर्वेद दवाओं का साइड इफेक्ट न होेने का भ्रम भ्रम टूट गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह संयोग है कि जहरीले कफ सीरप हादसे के बाद छिंदवाड़ा जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। जिले में 5 माह की बच्ची की मौत के बाद एक्शन में आई सरकार ने 7 आयुर्वेद दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। लैब टेस्टिंग में ये दवाएं अमानक पाई गर्ई।
आयुष विभाग भोपाल के रिटायर्ड आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसपी तिवारी कहते हैं कि साढ़े तीन- चार दशक से आयुर्वेद की दवाओं का निरंतर अध्ययन-परीक्षण कर रहा हूं। संभवत: यह पहला मौका है जब लैब टेस्टिंग में एक साथ इतनी दवाएं अमानक पाई गईं। दवाओं के बैच को प्रतिबंध जैसी सख्त कार्रवाई सामने आई है। उचित मात्रा न होने पर आयुर्वेद दवा भी नुकसान कर सकती है।
आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है अस्पताल से बंट रहीं एवं प्राइवेट सेक्टर की दवाओं की टेस्टिंग कराएंगे। ड्रग कंट्रोलर और चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए हैं। छिंदवाड़ा, दतिया, बैतूल और जबलपुर से शिकायतें मिली हैं। गुणवत्ता के मामले में कोई समझौता नहीं। आयुर्वेद औषधि नियमावली के अनुसार कार्रवाई होगी। शासन ने ऐसे चिकित्सकों को प्रारंभिक उपचार की ट्रेनिंग देकर नियुक्त किया है। गंभीर रोगों का इलाज तो विशेषज्ञ ही करेंगे।