Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
मनोज चौरसिया, भोपाल। रात को होने वाले वैवाहिक आयोजनों में कई तरह के कार्यक्रमों के चलते वर-वधू पक्षों पर अत्यधिक आर्थिक भार बढ़ जाता है। ये विवाह समारोह दिन प्रतिदिन खर्चीले होते जा रहे हैं। यही वजह है कि लोग अब कई समाज के लोग रात के बजाय दिन में शादी-समारोह करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे न केवल अनावश्यक खर्च बच रहे हैं, बल्कि समय भी बच रहा है। इस फिजूलखर्ची के खिलाफ अब शहर के सामाजिक संगठन भी एकजुट हो रहे हैं।
दिन में शादी करने से बिजली और जेनरेटर जैसे खर्चों से बचा जा सके। समय की भी बचत होती है, क्योंकि बारात सुबह आती है और शाम तक दुल्हन विदा हो जाती है, जिससे रात के भारी-भरकम खर्चों को बचाया जा सकता है। इसके अलावा मैरिज गार्डन की सजावट, बारात में लाइटिंग का खर्च भी बचता है। भोपाल लाइट एंड केटर्स एसोसिएशन के चेयरमैन रिंकू भटेजा कहते हैं कि अब अनेक समाज दिन में शादियां कर रहे हैं। ऐसी होने वाली शादियों से लाइट का खर्च 35 में 45 हजार रुपए तक की बचत होती है। इसमें जनरेटर, बिजली का बिल, लाइटिंग का खर्च शामिल है। अकेले जनरेटर में ही 15 से 20 हजार रुपए तक खर्च आता है।
सिख समाज में फेरे समेत अन्य विवाह की रस्में दिन में ही होती हैं। हमीदिया गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष परमवीर सिंह ने बताया कि सिख समाज में विवाह की रस्में दोपहर में 12 बजे से पहले होती हैं। जैन समाज भी दिन में विवाह करता है।
कुशवाह : प्रांतीय कुशवाह समाज के प्रदेशाध्यक्ष योगेशमान सिंह कुशवाह कहते हैं कि दिन में विवाह होने से काफी बचत हो सकती है। समाज के लोग इसका समर्थन करते हुए अपने आयोजनों में इसे अमल करने लगे हैं। यह भी तय कर रहे हैं कि समारोहों में केवल नजदीकी रिश्तेदार बुलाए।
चौरसिया : सिरोंज निवासी संजय चौरसिया ने अपने बेटे की शादी दिन में कराई थी। दोपहर में विवाह की सभी रस्में हुर्इं। इससे सर्दी के सीजन में दोपहर में सारे काम-काज जल्द निपट गए। इससे देर रात तक होने वाली रस्में और थकावट से भी बच गए। संजय ने बताया कि इससे काफी बचत हुई।
कायस्थ : कोलार निवासी भूपेंद्र श्रीवास्तव ने अपने बेटे की शादी दिन में की थी। भूपेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि दिन में शादी होने से सभी काम रात होने से पहले हो चुके थे। मेहमान भी समय के साथ अपने घर चले गए और बिजली की बचत भी हुई। इससे हमारा करीब 50 से 60 हजार का खर्चा बच गया।
जैन : लखेरापुरा निवासी सोनू जैन भाभा ने बताया कि उनके परिवार में अधिकांश शादियां दिन में हुर्इं हैं। दिन में शादी करने से बाहर से जो मेहमान आते हैं, वो समय पर शाम को लौट सकते हैं। दिन में शादी करने से कई खर्च में बचत होती है। अनावश्यक लाइट डेकोरेशन का खर्च भी कम होता है।
गाजियाबाद जिले के गांव अटौर में सभी समाज के लोग फिजूलखर्ची से बचने के लिए दिन में शादी समारोह करते हैं। इस गांव में यह परंपरा 20 साल से कायम है। कारण यह है कि गांव वाले रात के समय होने वाली शादियों में सजावट आदि को फिजूलखर्ची मानते हैं।