Peoples Reporter
8 Oct 2025
Mithilesh Yadav
8 Oct 2025
देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित धराली गांव में 5 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 1:45 बजे बादल फटने के बाद तबाही मच गई। महज 34 सेकंड में गांव का बड़ा हिस्सा खीरगंगा नदी में आए सैलाब और मलबे की चपेट में आ गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, इस भीषण हादसे में अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं। 130 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है।
बादल फटने के बाद खीरगंगा नदी में तेज बहाव के साथ पहाड़ों से भारी मात्रा में मलबा आया, जिसने धराली गांव के बाजार, होटल, दुकानें और कई मकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मलबे का सैलाब इतनी तेजी से आया कि लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। नदी की चौड़ाई महज कुछ सेकंड में 10 मीटर से बढ़कर 30 मीटर हो गई।
धराली के अलावा पास के हर्षिल और सुक्की गांवों में भी बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। हर्षिल क्षेत्र में सेना की 14 राजपूताना राइफल्स की यूनिट का कैंप था, जहां 8 से 10 जवानों के लापता होने की आशंका जताई गई है। सेना की टीम मौके पर राहत व बचाव कार्य में जुटी है।
वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती के मुताबिक, धराली गांव ट्रांस हिमालय की मुख्य दरार ‘मेन सेंट्रल थ्रस्ट’ पर बसा हुआ है। यह इलाका भूगर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और पहले भी कई बार आपदा की चपेट में आ चुका है। वर्ष 1864, 2013 और 2014 में भी इसी क्षेत्र में बादल फटने की घटनाएं हुई थीं।
इस आपदा में धराली का सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक कल्पकेदार महादेव मंदिर भी पूरी तरह मलबे में दब गया। यह मंदिर पंचकेदार परंपरा से जुड़ा था और स्थानीय लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र था। भागीरथी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर करीब 1500 साल पुराना बताया जाता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में आपदा का भयावह मंजर देखने को मिला। लोग चीखते-चिल्लाते हुए जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते दिखे। “अरे मम्मी, अरे बह गया…” जैसे शब्दों ने इस त्रासदी की गंभीरता को और गहरा कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि महज चंद सेकंडों में पूरा गांव मैदान में तब्दील हो गया।
रेस्क्यू टीमों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है घटनास्थल तक पहुंचना। धराली को जोड़ने वाली सड़कें टूट चुकी हैं, भटवाड़ी से आगे रास्ता नहीं है। भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड हो रही है और बड़े-बड़े बोल्डर रास्ता रोक रहे हैं। हेलीकॉप्टर भी खराब मौसम के कारण उड़ान नहीं भर पा रहे हैं।
घटना के तुरंत बाद SDRF, NDRF, ITBP और सेना की टुकड़ियों को राहत कार्य में लगाया गया। सेना की 14वीं राजपूताना राइफल्स के जवान अपने बेस कैंप के बुरी तरह प्रभावित होने के बावजूद 150 जवानों की टीम के साथ राहत कार्य में डटी हुई है। अब तक 20 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।
राज्य के कई जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। मौसम विभाग ने हरिद्वार, नैनीताल, टिहरी, चंपावत सहित कई जिलों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चमोली और उत्तरकाशी जैसे जिलों में नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर आपदा की स्थिति की जानकारी ली और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। राज्य सरकार ने लोगों से नदी और पहाड़ी इलाकों से दूर रहने की अपील की है।
धराली गांव गंगोत्री धाम से 18 किमी पहले स्थित है, जो तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए एक अहम पड़ाव रहा है। यहां होटल, होमस्टे और बाजार के साथ-साथ स्थानीय जीवन भी सक्रिय रहता था। लेकिन अब धराली एक उजड़े हुए गांव में तब्दील हो चुका है, जहां सिर्फ मलबा, तबाही और आंखों में आंसू बाकी हैं।
ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने से तबाही... खीर गंगा में बहा गांव, अब तक 4 की मौत, 50 से ज्यादा लापता