Manisha Dhanwani
8 Nov 2025
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से एक साथ चार नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर देश को आधुनिक रेल यात्रा की नई सौगात दी। पीएम ने भाषण की शुरुआत 'नमः पार्वतीपतये, हर-हर महादेव' के जयघोष से की। उन्होंने कहा कि, अब वंदे भारत ट्रेनें केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को जोड़ने वाली सांस्कृतिक और प्रगतिशील पहचान बन चुकी हैं। पीएम मोदी का यह इस साल का 5वां और वाराणसी सांसद रहते 53वां दौरा है।
इसी के साथ वाराणसी को अपनी 8वीं वंदे भारत ट्रेन मिल गई है। जिन ट्रेनों की शुरुआत की गई है, वे इन रूट्स पर चलेंगी-
वाराणसी-खजुराहो रूट पर चलने वाली ट्रेन को विशेष रूप से आस्था और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने वाली पहल माना जा रहा है। यह ट्रेन काशी विश्वनाथ, विंध्याचल धाम, प्रयागराज और चित्रकूट जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों को जोड़ेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि, वंदे भारत भारतीयों की, भारतीयों द्वारा और भारतीयों के लिए बनाई गई ट्रेन है। पहले हमें लगता था कि, यह सब तकनीक और विकास विदेशों में होता है। लेकिन अब भारत खुद कर रहा है, अपने दम पर कर रहा है। उन्होंने बताया कि, देश में अब 160 से ज्यादा वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं और यह भारतीय रेलवे के परिवर्तन का बड़ा आधार बन रही हैं।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि, दुनिया के हर विकसित राष्ट्र ने मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपनी प्रगति का आधार बनाया है। उन्होंने कहा कि, जहां रेल पहुंचती है, वहां विकास खुद पहुंच जाता है। एयरपोर्ट, हाईवे, नई ट्रेनें ये सिर्फ सुविधा नहीं, आने वाले भारत की मजबूत नींव हैं।
ट्रेन की पहली यात्रा में सवार यात्रियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि, काशी और खजुराहो जैसे सांस्कृतिक धरोहरों को जोड़ने वाली यह यात्रा आध्यात्मिक रूप से भी खास है। वंदे भारत में बैठते ही लगता है कि भारत सच में बदल रहा है।
ट्रेन में यात्रियों के लिए चाय, जूस और स्नैक्स की बेहतर व्यवस्था और आरामदायक सीटिंग उपलब्ध है। इसकी गति 110 किमी/घंटा तक रहने वाली है।
रेलवे बोर्ड के मुताबिक, नई 8 सेवाओं के जुड़ने के बाद देश में वंदे भारत ट्रेनों की कुल संख्या 164 हो जाएगी। इन ट्रेनों को आधुनिक तकनीक, बेहतर सुरक्षा और तेज रफ्तार को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
विशेष रूप से वाराणसी-खजुराहो वंदे भारत को सांस्कृतिक धरोहरों को जोड़ने वाली ट्रेन बताया जा रहा है। इससे-