Naresh Bhagoria
7 Nov 2025
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उज्जैन में एक मस्जिद के गिराए जाने के खिलाफ दायर याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। मस्जिद को भूमि अधिग्रहण के बाद ध्वस्त कर दिया गया था। तकिया मस्जिद जनवरी में उस जमीन के अधिग्रहण के बाद ध्वस्त कर दी गई थी जिस पर यह बनी थी। अधिकारियों ने उज्जैन में महाकाल लोक परिसर में विस्तार करने के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की थी। 11 जनवरी 2025 को 257 मकानों के साथ मस्जिद को ध्वस्त किया गया था।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, 13 याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 200 साल पुरानी मस्जिद को इसलिए गिराया गया क्योंकि पार्किंग स्थल की आवश्यकता थी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस याचिका की सुनवाई की। बेंच ने कहा, 'वैधानिक योजना के तहत मुआवजा देना जरूरी था। आपने उसी अधिग्रहण को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे वापस लिया गया मान कर खारिज कर दिया गया था।' याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि मस्जिद को 1985 में वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था। बेंच ने कहा, 'अब बहुत देर हो चुकी है, कुछ नहीं किया जा सकता। याचिका को खारिज किया जाता है।'
बेंच ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इस संबंध में तर्क दिया है। याचिकाकतार्ओं ने हाईकोर्ट के समक्ष कहा था कि वे उज्जैन के निवासी हैं और मस्जिद में नमाज अदा करते थे। प्राधिकारियों ने कोर्ट से कहा था कि जमीन का अधिग्रहण कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए किया गया था, मुआवजा दिया गया था और अब सभी संपत्तियां राज्य सरकार के पास हैं। हालांकि, पहले सिंगल बेंच और फिर डबल बेंच, दोनों ने ही याचिकाकर्ताओं की अपील को खारिज कर दिया था और प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट में हार के बाद, पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।