People's Reporter
11 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
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Aniruddh Singh
9 Nov 2025
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं और आयात शुल्क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। ह्वाइट हाउस ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य रूस पर दबाव बनाना है, ताकि वह यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत की दिशा में आगे बढ़े। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत पर इस तरह का दबाव डालकर रूस के साथ उसके ऊर्जा और रक्षा सहयोग को कमजोर किया जा सकता है, जिससे मॉस्को पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने का दबाव और बढ़ेगा।
ह्वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप युद्ध को जल्द खत्म करना चाहते हैं और इसलिए वे हर संभव कड़ा कदम उठा रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि पिछली सरकारों ने इतनी सक्रियता नहीं दिखाई, जबकि ट्रंप सीधे तौर पर मॉस्को और कीव दोनों से संवाद कर रहे हैं। हाल ही में उनकी मुलाकात यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संभावित वार्ता पर चर्चा की। जेलेंस्की ने इस बातचीत को अब तक की सबसे अच्छी वार्ता बताया।
इसके साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं और नाटो महासचिव से भी मुलाकात की और रूस के साथ अपनी बातचीत के नतीजों को साझा किया। यह दिखाता है कि ट्रंप प्रशासन पश्चिमी सहयोगियों को साथ लेकर युद्ध खत्म करने की कोशिश में जुटा है। वहीं अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर लाभ कमाया है और यह स्थिति अमेरिका को स्वीकार्य नहीं है।
उनका कहना था कि रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत की तेल आपूर्ति में रूस का हिस्सा 1 प्रतिशत से भी कम था, लेकिन अब यह 42 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। बेसेंट ने यह भी संकेत दिया कि अगर हालात नहीं बदले तो भारत पर और भी सख्त सेकेंडरी टैरिफ लगाए जा सकते हैं। इसके विपरीत, चीन पर कोई बड़ा दबाव नहीं डाला गया है क्योंकि उसकी रूसी ऊर्जा पर निर्भरता स्थिर बनी हुई है, जबकि भारत ने आयात को तेजी से बढ़ाया है।
भारत ने अमेरिका के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि भारत अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए यह कदम उठा रहा है और पश्चिमी देश स्वयं भी रूस से आयात कर रहे हैं। मंत्रालय ने उदाहरण देते हुए बताया कि यूरोप ऊर्जा, उर्वरक, खनिज और इस्पात रूस से ले रहा है, जबकि अमेरिका अभी भी यूरेनियम, पैलेडियम और रसायन रूस से खरीदता है। ऐसे में केवल भारत को निशाना बनाना अनुचित है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और अपनी 88 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें आयात से पूरी करता है।
यूक्रेन युद्ध के बाद से यूरोप ने रूसी तेल खरीदना घटा दिया, जिसके बाद भारत ने सस्ती कीमतों का लाभ उठाते हुए अपने आयात को बढ़ाया। अब रूस भारत के सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन चुका है। कुल मिलाकर, अमेरिका चाहता है कि रूस बातचीत की मेज पर आए और युद्ध खत्म हो। लेकिन भारत का रुख साफ है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा, भले ही उस पर अतिरिक्त प्रतिबंध क्यों न लगाए जाएं। यह टकराव आने वाले समय में अमेरिका-भारत संबंधों को और जटिल बना सकता है।