Peoples Reporter
26 Oct 2025
Mithilesh Yadav
22 Oct 2025
Mithilesh Yadav
22 Oct 2025
धर्म डेस्क। दिवाली के ठीक 10 दिन बाद आने वाली अक्षय नवमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई थी। माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्य, दान और पूजा का फल कभी समाप्त नहीं होता। अक्षय नवमी को देश के अलग-अलग हिस्सों में आंवला नवमी, कूष्मांड नवमी और आरोग्य नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा करने से सुख-समृद्धि, संतान सुख और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दिवाली के ठीक 10 दिन बाद मनाई जाने वाली अक्षय नवमी का शास्त्रों में बहुत महत्व है। इस साल अक्षय नवमी 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
‘अक्षय’ का अर्थ है जो कभी नष्ट न हो। इस दिन किए गए दान, पूजा और अच्छे कर्मों का फल अक्षय यानी सदा बना रहता है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इस दिन आंवले का सेवन और पूजन करने से सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
अक्षय नवमी पर स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व बताया गया है। अगर तीर्थ स्थान न जा सकें, तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है। पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने कूष्माण्ड नामक दैत्य का वध किया था। दैत्य के शरीर से कूष्माण्ड की बेल उत्पन्न हुई थी, इसलिए इसे कूष्माण्ड नवमी भी कहा जाता है। इस दिन पेठे या कद्दू का दान और उसका पूजन करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
उड़ीसा में इस दिन जगतधात्री माता की पूजा होती है, जो मां दुर्गा का स्वरूप मानी जाती हैं। वहीं मथुरा परिक्रमा की शुरुआत भी अक्षय नवमी के दिन से होती है।