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Aakash Waghmare
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31 Oct 2025
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Aditi Rawat
30 Oct 2025
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और रेबीज के मामलों को लेकर राज्य सरकारों पर कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की यह मांग खारिज कर दी कि राज्य मुख्य सचिव वर्चुअल माध्यम से पेश हो सकते हैं। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने साफ कहा कि सभी मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना अनिवार्य होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों द्वारा आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा। बार-बार निर्देश देने के बावजूद हलफनामे दाखिल नहीं करना न्यायिक प्रक्रिया के प्रति गंभीर लापरवाही है। पीठ ने यह भी कहा कि राज्य नियम तो बना लेते हैं, लेकिन अमल के समय आंखें मूंद लेते हैं।
22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया था कि वे Animal Birth Control नियमों के तहत उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी हलफनामे के रूप में प्रस्तुत करें। अधिकांश राज्यों ने इस आदेश का पालन नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रह सकता, लोगों की जानें जा रही हैं और सरकारें मौन हैं।
बिहार सरकार ने विधानसभा चुनावों का हवाला देते हुए अपने मुख्य सचिव को कोर्ट में पेश होने से छूट देने की अपील की थी। हालांकि, अदालत ने इस याचिका को सख्ती से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, “चुनाव आयोग चुनाव संभालेगा, लेकिन अदालत के आदेशों से कोई बच नहीं सकता। मुख्य सचिव को उपस्थित होना ही होगा। कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाएं विदेशों में भारत की छवि को नुकसान पहुंचा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिवों को खुद आना होगा। यह सख्त रुख इसलिए लिया गया क्योंकि अधिकांश राज्य 22 अगस्त के आदेश के बावजूद यह नहीं बता पाए कि उन्होंने आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और डीवर्मिंग के लिए क्या कदम उठाए। पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया गया।
यह मामला पहले जस्टिस यायती चंद्रचूड़ की बेंच के पास था, लेकिन बाद में चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इसे जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच को सौंप दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कदम इंसानों और कुत्तों दोनों के हित में है।
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और रेबीज मामलों पर चिंता जताई। प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 37 लाख से ज्यादा कुत्ते काटने की घटनाएं हुई हैं, जिनमें दिल्ली में अकेले 25,201 मामले हैं। कोर्ट ने राज्यों से डॉग पाउंड, पशु चिकित्सकों, कुत्ता पकड़ने वाले कर्मचारियों और विशेष वाहनों की पूरी जानकारी मांगी है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने मुख्य सचिवों को वर्चुअल तरीके से पेश होने की अनुमति मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने इसे साफ नकार दिया। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि कोई छूट नहीं मिलेगी और सभी को फिजिकली आना होगा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों के मामलों में जल्द ठोस कदम न उठाने वाले राज्यों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। यह कदम न केवल मानव सुरक्षा के लिए, बल्कि पशु कल्याण के लिए भी जरूरी है।