Naresh Bhagoria
17 Dec 2025
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को फसल के गिरते दाम से राहत देने के लिए एक बार फिर भावांतर भुगतान योजना की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना और उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाना है।
भावांतर योजना के तहत यदि किसान को अपनी फसल का मूल्य बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम मिलता है, तो सरकार वह अंतर (भावांतर) किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में जमा करती है। इस वर्ष सोयाबीन फसल के लिए MSP 5,328 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। यदि बाजार में दाम 4,000 से 4,500 रुपये के बीच रहते हैं, तो बाकी रकम सरकार किसानों को देगी।
इस बार प्रदेश के लगभग 9 लाख 36 हजार किसानों ने भावांतर योजना के तहत पंजीकरण कराया है। अब तक 22,063 किसानों से 47,493 टन सोयाबीन की खरीदी की जा चुकी है। सरकार का अनुमान है कि करीब 6 लाख किसानों को योजना से सीधा लाभ मिलेगा।
सोयाबीन फसल की खरीदी 24 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है और यह प्रक्रिया 15 जनवरी तक चलेगी। किसानों से अपील की गई है कि वे अपनी उपज केवल अधिकृत मंडियों में ही बेचें और किसी अफवाह पर ध्यान न दें। मंडी समितियों को किसानों और व्यापारियों के बीच होने वाली खरीदी-बिक्री की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है।
किसानों की शिकायतों और समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार ने भावांतर हेल्पलाइन शुरू की है। किसान और व्यापारी 0755-2704555 नंबर पर कॉल कर अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा मंत्रालय में कृषि विपणन मंडी बोर्ड द्वारा एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है, जिसका नंबर 0755-2558104 है।

यह हेल्पलाइन हर दिन सुबह 7 बजे से रात 11 बजे तक सक्रिय रहेगी। इस दौरान किसान, व्यापारी, मंडी समितियों के सदस्य और अधिकारी अपनी शिकायतें और सुझाव दर्ज करा सकेंगे।
भावांतर योजना पहली बार वर्ष 2017 में लागू की गई थी। किसानों की लगातार मांग के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसे आठ साल बाद फिर से शुरू किया है। सरकार का कहना है कि इस बार योजना को और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाएगा ताकि किसी भी किसान को नुकसान न हो।