Peoples Reporter
7 Oct 2025
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को होने वाली शिखर बैठक से पहले इशारे में कहा कि भारत पर लगाए गए टैरिफ ने रूस को बातचीत की मेज पर लाने में अहम भूमिका निभाई। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि टैरिफ के कारण भारत ने रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है, जिससे मॉस्को पर दबाव बढ़ा। उन्होंने कहा जब रूस अपना दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक खो देता है और पहला भी खोने के नजदीक है, तो यह उसके लिए बड़ी आर्थिक चोट की तरह है। उन्होंने कहा संभवत: इसी तबाव ने पुतिन को बातचीत के लिए मजबूर कर दिया। ट्रंप ने कहा उन्हें लगता है कि पुतिन सौदा करना चाहते हैं और अलास्का में होने वाली मुलाकात में इस दिशा में प्रगति संभव है। डोनाल्ड ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या वह यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए रूस को कोई आर्थिक प्रोत्साहन देने वाले हैं, लेकिन उन्होंने रूस की तेल और गैस क्षेत्र में बेहद लाभकारी संभावनाओं की ओर इशारा किया उनकी पुतिन के साथ बातचीत साधारण नहीं रहने वाली है।
उन्होंने कहा यह मुलाकात एक शतरंज के खेल जैसी है। जहां पहली बैठक दूसरी और अधिक निर्णायक बैठक का रास्ता तय करेगी। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर पहली बैठक सफल रही, तो वह यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को तुरंत कॉल करेंगे और संभव है उन्हें और यूरोपीय नेताओं को उसी स्थान पर बुला लिया जाए। उन्होंने तीन संभावित स्थानों का जिÞक्र किया, जिनमें अलास्का भी शामिल है, क्योंकि यह सबसे आसान विकल्प होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर बैठक असफल रही तो वे सीधे वापस चले जाएंगे और किसी को नहीं बुलाएंगे। दूसरी बैठक, ट्रंप के अनुसार, बहुत महत्वपूर्ण होगी क्योंकि उसमें सीमाओं और भूमि जैसे मुद्दों पर देना-लेना यानी समझौते की संभावना होगी।
हालांकि जेलेंस्की पहले ही साफ कह चुके हैं कि वे रूस के कब्जे वाले किसी भी क्षेत्र को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। ट्रंप ने कहा वे दोनों पक्षों के बीच सीधे सौदे में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, बल्कि उन्हें खुद बातचीत करने देंगे। ट्रंप ने यह भी माना कि पहली बैठक के विफल होने की संभावना 25% है। अगर ऐसा हुआ तो वे नए प्रतिबंधों पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में वे प्रेस से बात करेंगे, चाहे पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रÞेंस हो या अलग-अलग। अंत में उन्होंने कहा, हम पूरी कोशिश करेंगे, और मुझे लगता है कि अंत में हमें अच्छा नतीजा मिलेगा। यह बयान न केवल अमेरिका-रूस संबंधों की जटिलता को दशार्ता है, बल्कि इसमें भारत की अप्रत्यक्ष लेकिन अहम भूमिका भी सामने आती है। अमेरिकी टैरिफ के कारण रूस के तेल निर्यात पर असर पड़ा है, जिससे वह आर्थिक और कूटनीतिक दबाव में है। यह स्थिति यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में नए समीकरण बना सकती है, बशर्ते दोनों पक्ष समझौते के लिए तैयार हों।