Aniruddh Singh
7 Nov 2025
Aniruddh Singh
7 Nov 2025
पीपुल्स बिजनेस ब्यूरो
मुंबई। टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं-आशंकाओं की वजह से भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार के दिन बड़ी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांकों में तेज गिरावट आई और निवेशकों के मनोबल पर दबाव साफ दिखा। शेयर बाजार में आज की गिरावट अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर संभावित भारी टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद आई है। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि भारतीय निर्यात पर शुल्क 50% तक बढ़ाया जाएगा। इस खबर ने निवेशकों को हिला दिया और बाजार में बिकवाली का माहौल बन गया। सुबह 2:22 बजे तक बीएसई सेंसेक्स 687 अंक गिरकर 80,951.12 के स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी लगभग 206.40 अंक टूटकर 24,761.35 के स्तर पर फिसल गया है। इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण अमेरिका की ओर से लगाया जाने वाला नया शुल्क है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे कुल शुल्क 50% हो जाएगा। यह फैसला भारत के रूस से तेल खरीदने के चलते लिया गया बताया जा रहा है।
रूसी तेल के मुद्दे पर ही अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत भी रुक गई है। अब भारतीय निर्यातक दुनिया में सबसे ऊंचे शुल्क वाले बाजारों में शामिल हो जाएंगे। इससे निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ना तय है और यही निवेशकों की चिंता का सबसे बड़ा कारण बना। दूसरा कारण हाल ही में शेयर बाजार में आई तेजी के बाद हुई प्रॉफिट बुकिंग है। पिछले हफ्ते जीएसटी सुधारों की उम्मीद में बाजार में बढ़त दर्ज की गई थी। सरकार ने छोटे कारों और बीमा सेवाओं पर टैक्स घटाने के संकेत दिए थे, जिससे निवेशक उत्साहित हुए थे। टैरिफ से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए इस हफ्ते निवेशकों ने मुनाफा वसूलना शुरू कर दिया, जिससे बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। आईटी कंपनियों पर भी हल्का दबाव रहा क्योंकि उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार से ही आता है।
गिरावट का तीसरा बड़ा कारण विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली है। अगस्त के पहले पखवाड़े में एफआईआई ने भारतीय शेयरों में से लगभग 31,000 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी घटाई है। 25 अगस्त को भी उन्होंने 2,400 करोड़ से अधिक की बिक्री की। हालांकि घरेलू निवेशक खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन विदेशी निवेशकों की निकासी से बाजार का संतुलन बिगड़ रहा है। चौथा दबाव रुपए की कमजोरी है। मंगलवार को रुपया लगातार पांचवें दिन गिरकर 87.78 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। कमजोर रुपया आयात को महंगा करता है और कंपनियों के मुनाफे पर असर डालता है। साथ ही विदेशी निवेशकों का रुझान भी घटता है। 5वां कारण वैश्विक बाजारों की कमजोरी रहा है। एशियाई शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट की गिरावट का अनुसरण करते नीचे आ गए हैं। जापान का निक्केई 1% टूट गया है और यूरोप तथा अमेरिका के बाजार भी गिरावट का संकेत दे रहे थे।
फेडरल रिजर्व की नीतियों को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा फेड गवर्नर लिसा कुक को हटाने का ऐलान भी निवेशकों में चिंता बढ़ा रहा है क्योंकि इससे केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता पर सवाल उठे हैं। छठा दबाव कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का है। ब्रेंट क्रूड लगभग 68 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई 64 डॉलर प्रति बैरल के पास बना हुआ है। हाल ही में इसमें 2% तक की तेजी आई थी। भारत जैसे देश के लिए ऊँची तेल कीमतें बड़ी चुनौती हैं क्योंकि इससे आयात बिल बढ़ता है और कंपनियों की लागत भी बढ़ जाती है। सातवां कारण तकनीकी संकेत हैं। निफ्टी 25,000 के ऊपर टिक नहीं पाया और लगातार 24,800 के नीचे जाने का खतरा बना हुआ है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर निफ्टी 24,740 से नीचे गया तो और बड़ी गिरावट संभव है। बैंक निफ्टी का ट्रेंड भी कमजोर दिख रहा है और अगर यह 54,850 के नीचे टूटा तो और गिरावट आ सकती है।