Priyanshi Soni
14 Oct 2025
भोपाल/सिवनी। मध्यप्रदेश पुलिस के इतिहास में एक बड़ा और शर्मनाक मामला सामने आया है। सिवनी जिले के हवाला लूटकांड में अब पुलिस के ही अफसरों पर डकैती और अपहरण का मामला दर्ज किया गया है। एसडीओपी पूजा पांडे, एसआई अर्पित भैयाराम और चार कांस्टेबल सहित कुल 11 पुलिसकर्मी अब इस मामले में आरोपी हैं।
मध्यप्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना ने सभी आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
घटना की शुरुआत 8 अक्टूबर 2025 को हुई थी, जब महाराष्ट्र के जालना निवासी सोहनलाल परमार अपने साथियों के साथ कटनी से करीब 3 करोड़ रुपए नकद लेकर जा रहा था। सूत्रों के मुताबिक, यह पैसा हवाला कारोबार से जुड़ा था। रास्ते में सिवनी जिले के बंडोल थाना क्षेत्र में पुलिस ने वाहन को चेकिंग के दौरान रोका और रकम बरामद कर ली। लेकिन मामला तब गंभीर हुआ जब पुलिस ने सरकारी रेकॉर्ड में केवल 1.45 करोड़ रुपए की जब्ती दिखाई, जबकि बाकी करीब 1.5 करोड़ रुपए कथित रूप से पुलिसकर्मियों ने आपस में बांट लिए।
जांच में खुलासा हुआ कि पुलिस और हवाला कारोबारियों के बीच रकम के बंटवारे की ‘डील’ भी चल रही थी। पुलिसकर्मी आधे-आधे पैसे (1.5-1.5 करोड़) बांटने की बात कर रहे थे, लेकिन हवाला व्यापारी केवल 45 लाख रुपए देकर मामला रफा-दफा करने को तैयार था। डील फेल होने के बाद मामला उजागर हो गया और विभागीय जांच शुरू हुई।
घटना सामने आने के बाद आईजी जबलपुर प्रमोद वर्मा ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। जांच रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। इस आधार पर डीजीपी कैलाश मकवाना ने 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। एसडीओपी पूजा पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
सिवनी जिले के लखनवाड़ा थाने में दर्ज अपराध क्रमांक 473/2025 के तहत निम्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है-
ये सभी धाराएं गंभीर अपराधों के अंतर्गत आती हैं और दोष सिद्ध होने पर लंबी सजा का प्रावधान
मामले में केवल निचले स्तर के पुलिसकर्मी ही नहीं, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। आईजी प्रमोद वर्मा ने सिवनी एसपी सुनील कुमार मेहता और एडिशनल एसपी दीपक मिश्रा को शो-कॉज नोटिस जारी किया है। इनसे पूछा गया है कि इतनी बड़ी रकम की बरामदगी की सूचना उन्होंने तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को क्यों नहीं दी।
इस मामले ने मध्यप्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। राज्यभर में यह चर्चा का विषय बन गया है कि जिन पर जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, वही वर्दीधारी अपराधी बन बैठे। राज्य सरकार ने इस घटना को “गंभीर विश्वासघात” बताते हुए सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं।