Aniruddh Singh
1 Oct 2025
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद बुधवार को यह निर्णय लिया गया कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा। अगस्त में भी रेपो रेट 5.5 प्रतिशत ही थी।
आरबीआई ने यह कदम वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और घरेलू मुद्दों जैसे महंगाई नियंत्रण और जीएसटी सुधार को देखते हुए लिया। बाजार को उम्मीद थी कि आरबीआई सतर्क रुख अपनाएगा और उसी के अनुरूप ब्याज दर स्थिर रखी गई।
लोन और EMI लेने वालों को फिलहाल कोई राहत नहीं, क्योंकि ब्याज दरें पहले जैसी ही रहेंगी। बैंकों के लिए उधारी की लागत में कोई बदलाव नहीं होगा। निवेशकों के लिए यह संकेत है कि आरबीआई फिलहाल स्थिरता बनाए रखना चाहता है।
होम लोन और ऑटो लोन महंगे नहीं होंगे। निवेशकों को भरोसा है कि लोन डिमांड बनी रहेगी। विदेशी निवेशकों (FII) के लिए संकेत है कि आरबीआई सावधानी से कदम बढ़ा रहा है। शेयर बाजार, बॉन्ड मार्केट और रुपये की चाल पर इसका असर देखने को मिल सकता है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं का असर बना रहेगा।