Aniruddh Singh
26 Sep 2025
मुंबई। भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार के कारोबार के दौरान जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 800 अंकों से ज्यादा गिर गया है और निफ्टी 24,700 के नीचे फिसल गया। बीएसई का बेंचमार्क इंडेक्स 808.49 अंकों की गिरावट के साथ 2.50 बजे तक 80,347.36 के स्तर पर आ गया। जबकि, एनएसई का निफ्टी 239.00 अंक की गिरावट के साथ 24,651.85 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। यह लगातार छठा दिन है, जब बाजार लाल निशान में ट्रेड कर रहा है। गिरावट का सबसे बड़ा असर आईटी और फार्मा सेक्टर में देखने को मिल रहा, जबकि बैंकिंग और ऊर्जा सेक्टर भी हल्के दबाव में हैं। केवल ऑटोमोबाइल, मीडिया और रियल्टी सेक्टर ने थोड़ी बहुत मजबूती दिखाई है, लेकिन उनका असर नकारात्मक माहौल में काफी सीमित रहा। आज की गिरावट के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई घोषणा है, जिसमें उन्होंने ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% और हैवी-ड्यूटी ट्रकों पर 25% आयात शुल्क लगाने का ऐलान किया है।
भारतीय दवा कंपनियां लंबे समय से अमेरिका को बड़ी मात्रा में दवाओं का निर्यात करती रही हैं। भारत की लगभग 10 अरब डॉलर की फार्मा एक्सपोर्ट मशीनरी में अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। अब जबकि ट्रंप प्रशासन ने ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैक्स लगाने का फैसला किया है, तो भारतीय फार्मा सेक्टर में चिंता गहराना स्वाभाविक है। हालांकि जेनेरिक दवाओं को इस टैक्स से फिलहाल छूट मिली है, लेकिन जटिल जेनेरिक और बायोसिमिलर दवाओं पर स्थिति साफ नहीं है। अगर भविष्य में इन पर भी प्रतिबंध या टैक्स लगाया गया, तो भारतीय फार्मा इंडस्ट्री को और तगड़ा झटका लग सकता है। सेंसेक्स और निफ्टी की गिरावट से निवेशकों को यह समझना चाहिए कि सिर्फ इंडेक्स देखकर बाजार की हालत नहीं जानी जा सकती।
आंकड़े बताते हैं कि जहां निफ्टी ने उच्चतम स्तर से 5.5% की गिरावट दिखाई है, वहीं मिडकैप, स्मॉलकैप और माइक्रोकैप शेयरों में निवेशकों को कहीं ज्यादा नुकसान हुआ है। शीर्ष 750 कंपनियों में से 485 शेयर लाल निशान में ट्रेड करते दिख रहे हैं और उनका औसत रिटर्न लगभग -11.56% है। इसका मतलब यह है कि इंडेक्स भले ही स्थिर दिख रहा हो, लेकिन छोटे और मध्यम स्तर के निवेशकों के पोर्टफोलियो में दोहरे अंकों की हानि हो रही है। इस माहौल में सबसे बड़े नुकसान वाले शेयरों में वोडाफोन आइडिया, लॉरस लैब्स, टेक्नो इलेक्ट्रिक, केआईओसीएल, एडेलवाइस, स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज, बायोकॉन और हिंदुस्तान कॉपर शामिल हैं। फार्मा कंपनियों जैसे सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज, सिप्ला, ऑरबिंदो, जाइडस और ल्यूपिन पर भी निवेशकों की नजरें टिकी हैं, क्योंकि इनकी अमेरिका पर निर्भरता ज्यादा है।