Aniruddh Singh
19 Oct 2025
दोहा। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लगातार दस दिनों से जारी सीमा संघर्ष पर आखिरकार विराम लग गया है। कतर के विदेश मंत्रालय ने 19 अक्टूबर को घोषणा करते हुए बताया कि, दोनों देशों ने दोहा में हुई बातचीत के बाद तत्काल युद्धविराम (सीजफायर) लागू करने पर सहमति जताई है। इस बैठक में कतर और तुर्किये ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई। इसके साथ ही दोनों देशों ने यह भी तय किया है कि, आने वाले दिनों में फॉलो-अप मीटिंग्स होंगी, ताकि संघर्षविराम को स्थायी बनाया जा सके और सीमा पर स्थिरता कायम रहे।
कतर के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते का उद्देश्य पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करना और सीमा पर शांति बहाल करना है। कतर ने इस वार्ता को “बड़ी कूटनीतिक सफलता” बताया, साथ ही उम्मीद जताई कि इससे दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद सुलझाने की दिशा में नई शुरुआत होगी।
पाकिस्तान ने सीजफायर से पहले 17 अक्टूबर को अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में एयरस्ट्राइक की थी। इस हमले में 17 नागरिकों की मौत हुई, जिनमें तीन अफगान क्रिकेटर भी शामिल थे। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह हमला उर्गुन और बर्मल जिलों के रिहायशी इलाकों में हुआ था।
यह हमला उस समय हुआ जब 15 अक्टूबर को लागू हुआ और 48 घंटे का सीजफायर खत्म होने के कुछ ही घंटे बाद दोनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ गया।
एयरस्ट्राइक के तुरंत बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) ने नवंबर में पाकिस्तान में होने वाली ट्राई-टी20 सीरीज से नाम वापस ले लिया। टीम को 17 और 23 नवंबर को पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलना था, ऐसा पहली बार होता जब पाकिस्तान की सरजमीं पर अफगानिस्तान उसके खिलाफ उतरता। अब यह सीरीज रद्द हो गई है।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि, वार्ता का मुख्य उद्देश्य सीमा पार आतंकवाद रोकना था। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि, अफगानिस्तान की धरती से आतंकी पाकिस्तान में घुसपैठ कर हमले कर रहे हैं। हिंसा की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तान ने काबुल से इन आतंकवादियों पर लगाम लगाने की मांग की।
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान के आरोपों को झूठ और भ्रामक बताया। काबुल ने कहा कि, पाकिस्तान खुद इस्लामिक स्टेट (ISIS) जैसे आतंकी समूहों को शरण देकर अफगानिस्तान को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। तालिबान का कहना है कि, पाकिस्तान रिहायशी इलाकों में बमबारी कर रहा है और निर्दोष लोगों की जान ले रहा है।
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि, इस हफ्ते पाकिस्तान के हमलों में अफगानिस्तान के 6 प्रांतों में 37 नागरिकों की मौत हुई है, जबकि 425 लोग घायल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और सीमा पर मानवीय स्थिति को ध्यान में रखकर कदम उठाने की अपील की है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने कहा कि, अफगान सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी धरती से पाकिस्तान पर कोई हमला न हो। उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा और अगर जरूरी हुआ तो सख्त कदम उठाएगा।”
अफगानिस्तान ने दावा किया कि, 17 अक्टूबर को जब सीजफायर को बढ़ाने पर सहमति बनी थी, पाकिस्तान ने उसके कुछ घंटों बाद ही फिर से हवाई हमले कर दिए। काबुल के अनुसार, उसके सैनिकों को जवाबी कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया गया था, ताकि वार्ता की संभावना बनी रहे। इन हमलों में तीन अफगान क्रिकेटर और कई नागरिकों की मौत हुई।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने दावा किया कि, पाकिस्तान ने नागरिक नहीं, बल्कि आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। उनके मुताबिक, इन ऑपरेशनों में 100 से ज्यादा आतंकवादियों को ढेर किया गया, जबकि नागरिकों के मारे जाने की खबरें गलत और महज अफवाह हैं।
दोनों देशों के बीच यह संघर्ष 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद ज्यादा बढ़ गया। दोनों देशों की 2600 किलोमीटर लंबी सीमा पर लंबे समय से डूरंड लाइन विवाद और आतंकी गतिविधियों को लेकर तनाव बना हुआ है।
8 अक्टूबर: खैबर पख्तूनख्वा में TTP (पाकिस्तानी तालिबान) का पाक सैनिकों पर हमला, 23 सैनिक मारे गए।
9 अक्टूबर: पाकिस्तान ने काबुल में हवाई हमला किया, TTP नेता नूर वली महसूद को निशाना बनाया।
10 अक्टूबर: पाकिस्तान ने पक्तिका प्रांत में एक बाजार पर बमबारी की।
11-12 अक्टूबर: अफगान तालिबान ने पाकिस्तानी चौकियों पर हमला, दोनों ओर सैकड़ों मौतें।
12 अक्टूबर: अफगानिस्तान ने सीजफायर की घोषणा की, पाकिस्तान ने हमले जारी रखे।
15 अक्टूबर: पाकिस्तान ने स्पिन बोल्डक (कंधार) में हवाई हमला किया, 15 नागरिक मारे गए।
दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव की सबसे बड़ी वजह डूरंड लाइन विवाद है। 1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच यह सीमा तय की गई थी। 2430 किलोमीटर लंबी यह लाइन बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और कबायली इलाकों से गुजरती है। तालिबान इसे मान्यता नहीं देता, उसका कहना है कि यह औपनिवेशिक समझौता अब खत्म हो चुका है।