Shivani Gupta
2 Dec 2025
वॉशिंगटन डीसी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे ने India-Russia Relations को नई दिशा दी है। भारत में पुतिन का गर्मजोशी भरा स्वागत वैश्विक राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गया है। अमेरिका के पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने इस दौरे का विश्लेषण करते हुए कहा कि, इस शानदार स्वागत के लिए मॉस्को नहीं, बल्कि डोनाल्ड ट्रंप को श्रेय दिया जाना चाहिए। रुबिन ने तो यह दावा किया कि, ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं।
रुबिन ने मीडिया को बताया कि, नई दिल्ली में पुतिन को जो सम्मान मिला, वह कहीं और शायद ही किसी को मिलता। उन्होंने कहा कि, डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को जिस तरह साथ लाया, उसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
रुबिन ने यह भी सवाल उठाया कि, दौरे के दौरान किए गए समझौते कितने वास्तविक सहयोग में बदलेंगे और कितने इस बात से प्रभावित थे कि ट्रंप के भारत और पीएम मोदी के साथ व्यवहार ने भारत को नाराज किया।
रुबिन के अनुसार अमेरिका में इस मामले को दो तरीके से देखा जा रहा है-
ट्रंप समर्थक: इसे 'मैंने कहा था' की पुष्टि मानते हैं।
ट्रंप विरोधी (लगभग 65% अमेरिकी): इसे ट्रंप की अक्षमता और अमेरिका-भारत संबंधों पर दीर्घकालीन नुकसान के रूप में देखते हैं।
रुबिन ने चेतावनी दी कि, ट्रंप द्वारा लिए गए कुछ फैसले, जो पाकिस्तान, तुर्की और कतर के समर्थन से प्रभावित थे। वे आने वाले दशकों में अमेरिका के लिए रणनीतिक घाटे का कारण बन सकते हैं।
रुबिन ने अमेरिका पर दोहरा रवैया रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, अमेरिका खुद रूस से ईंधन खरीदता है, लेकिन भारत को ऐसा करने से रोकने की कोशिश करता है। रुबिन ने साफ कहा कि, अगर हम नहीं चाहते कि भारत रूस से तेल खरीदे, तो हमें उसे सस्ता और पर्याप्त विकल्प देना चाहिए। जब ऐसा विकल्प नहीं है, तो हमें चुप रहना चाहिए। भारत को पहले अपनी सुरक्षा और हित का ध्यान रखना है।
उन्होंने यह भी कहा कि, भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेता है। प्रधानमंत्री मोदी को भी जनता ने इसी सोच के लिए चुना है।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि, भारत की विकास यात्रा के लिए ऊर्जा आवश्यक है और रूस इस जिम्मेदारी को निभाता रहेगा। इस आश्वासन ने India-Russia relations को और मजबूती दी है और दोनों देशों के बीच लंबी अवधि की रणनीतिक साझेदारी को संकेतित किया है।