Shivani Gupta
29 Oct 2025
कांकेर। छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर में सक्रिय रहे 21 नक्सलियों ने 18 हथियारों के साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। यह आत्मसमर्पण कांकेर के जंगलवार कॉलेज परिसर में आयोजित विशेष कार्यक्रम के दौरान हुआ। बुधवार को कार्यक्रम में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का रेड कारपेट बिछाकर स्वागत किया गया।
इस मौके पर बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने नक्सलियों को संविधान की प्रति सौंपते हुए कहा कि यह भारत की मुख्यधारा में लौटने का पहला कदम है। उन्होंने नक्सलियों से अपील की कि वे अब हिंसा छोड़कर समाज की सेवा और विकास की दिशा में आगे बढ़ें।
बस्तर क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे नक्सल उन्मूलन अभियान में पुलिस ने इस माह अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। अब पुलिस एनकाउंटर की बजाय आत्मसमर्पण को प्राथमिकता दे रही है। नक्सलियों को यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि यदि वे मुख्यधारा में लौटना चाहें तो उनका स्वागत किया जाएगा, लेकिन अगर वे हथियार नहीं डालेंगे तो फोर्स सख्ती से कार्रवाई करने को तैयार है।
इस रणनीति का असर अब साफ दिखने लगा है। इसी माह जगदलपुर में 208 नक्सलियों ने 109 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया था। उसके बाद अब कांकेर जिले के दो एरिया कमेटियों ने भी हथियार डाल दिए हैं। बुधवार को आत्मसमर्पण करने वाले 21 नक्सलियों ने कुल 18 हथियार पुलिस को सौंपे।
आईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि एक समय नक्सल संगठन की पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी में 45 सदस्य हुआ करते थे। लेकिन अब 2025 के अंत तक यह संख्या घटकर सिर्फ 6 से 7 रह गई है, जो इस समय दक्षिण बस्तर के जंगलों में छिपे हुए हैं। उन्होंने कहा, नक्सल आंदोलन का अंत अब बहुत नजदीक है।
संगठन टूट चुका है और अधिकांश सदस्य आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अब जो कुछ बचे हैं, उन्हें भी समझ लेना चाहिए कि सुरक्षाबल उनसे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। आईजी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो नक्सली अब भी जंगलों में हैं, वे या तो सरेंडर कर लें या फिर कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
कार्यक्रम में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का रेड कारपेट पर स्वागत किया गया, जिससे उन्हें यह संदेश दिया जा सके कि राज्य सरकार और पुलिस मुख्यधारा में लौटने वालों को सम्मान देती है। नक्सलियों को फूल-मालाओं से सम्मानित किया गया और संविधान की प्रति सौंपते हुए समाज में नई शुरुआत करने की प्रेरणा दी गई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आर्थिक सहायता और सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
आईजी सुंदरराज ने कहा कि अब समय आ गया है कि बंदूक की जगह कलम और हल उठाई जाए। उन्होंने कहा कि बस्तर का भविष्य विकास, शिक्षा और शांति में है, न कि हिंसा में। उन्होंने मुख्यधारा में लौटने वाले सभी नक्सलियों को 'बस्तर का सच्चा सपूत' बताया और उन्हें समाज के पुनर्निर्माण में योगदान देने की अपील की।