Aniruddh Singh
20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
मुंबई। जापान का प्रमुख वित्तीय संस्थान सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्प (एसएमबीसी) भारत के निजी क्षेत्र के बैंक यस बैंक में बड़ा निवेश करने जा रहा है। यह निवेश करीब 16,000 करोड़ रुपए का होगा और यह निवेश इक्विटी तथा डेट दोनों रूपों में होगा। इस कदम का मकसद यस बैंक की बैलेंस शीट को मज़बूत करना और उसकी वित्तीय स्थिति को स्थिरता देना है। इसके अलावा, एसएमबीसी मौजूदा शेयरधारकों से 20% हिस्सेदारी भी खरीदेगा, जिसके लिए उसने लगभग 13,500 करोड़ रुपए का भुगतान करने का वादा किया है। इस हिस्सेदारी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य घरेलू बैंकों की है। एसएमबीसी जापान के शीर्ष तीन बड़े बैंकों में शामिल है और 39 देशों में इसका कारोबार फैला हुआ है। यस बैंक में यह निवेश सिर्फ पूंजी डालने तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में एसएमबीसी एक बड़ी हिस्सेदारी लेकर बैंक में और गहरी भागीदारी करना चाहता है। जानकारी के मुताबिक, कंपनी एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई बनाने पर काम कर रही है, जिसके जरिए वह यस बैंक में बहुमत हिस्सेदारी हासिल कर सके।
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इस निवेश में खास बात यह है कि एसएमबीसी लगभग 8,500 करोड़ रुपए येन-मुद्रा आधारित बॉन्ड्स के जरिए लाएगा, जिन पर ब्याज दर 2% से भी कम होगा। इस तरह की सस्ती और दीर्घकालिक फंडिंग यस बैंक के लिए बहुत राहत भरी होगी क्योंकि इससे बैंक की कुल उधारी लागत घटेगी। बाकी 7,500 करोड़ रुपए इक्विटी के रूप में निवेश किए जाएंगे, जो विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड्स (एफसीसीबी) के रूप में होंगे। इससे बैंक की पूंजी आधार को मजबूती मिलेगी। यस बैंक ने पहले ही अपने शेयरधारकों से इस पूंजी जुटाने की मंजूरी ले ली है। इसके बाद अब एसएमबीसी और यस बैंक दोनों आरबीआई से एफसीसीबी जारी करने की अनुमति पाने की प्रक्रिया में हैं। वहीं, भारतीय रिज़र्व बैंक ने एसएमबीसी को यस बैंक में 24.99% तक हिस्सेदारी हासिल करने की अनुमति दे दी है। इसमें से 20% हिस्सेदारी घरेलू बैंकों से खरीदी जाएगी, शेष 4.99% हिस्सेदारी किस तरह से ली जाएगी, इस पर बातचीत जारी है।
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एसएमबीसी इसके लिए प्राइवेट इक्विटी निवेशकों एडवेंट और कार्लाइल से हिस्सेदारी खरीदने या नई इक्विटी जारी करने पर विचार कर रहा है। हालांकि, अभी तक आरबीआई ने एसएमबीसी को प्रमोटर का दर्जा नहीं दिया है। यह मुद्दा समीक्षा के अधीन है और इसके लिए अधिक प्रतिबद्धता और कुछ औपचारिकताओं की पूर्ति की आवश्यकता होगी। एसएमबीसी इस दर्जे को हासिल करने के लिए उत्सुक है क्योंकि इससे बैंक पर उसका नियंत्रण और बढ़ जाएगा। यस बैंक की मौजूदा स्थिति देखें तो उसका नेट इंटरेस्ट मार्जिन (एनआईएम) जून 2025 में केवल 2.5% था, जो बैंकिंग सेक्टर में सबसे कम है। एसएमबीसी द्वारा लाए गए कम लागत वाले फंड से यस बैंक अपने एनआईएम को बेहतर बना सकेगा और उसकी लाभप्रदता में सुधार होगा। कुल मिलाकर, यह सौदा यस बैंक के लिए पुनर्जीवन का एक बड़ा मौका माना जा रहा है। पहले से मुश्किल दौर से गुज़र चुके इस बैंक को अब एक मज़बूत अंतरराष्ट्रीय साझेदार मिल रहा है, जो न केवल वित्तीय मजबूती देगा बल्कि दीर्घकालिक स्थिरता भी सुनिश्चित करेगा। इस कदम से भारत के बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी निवेश की भूमिका और प्रभाव और अधिक बढ़ने की संभावना है।