Peoples Reporter
7 Oct 2025
मॉस्को दौरे पर पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने साफ कहा कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार नहीं है, बल्कि चीन है। जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25% टैरिफ पर भी सवाल उठाए और इसे अनुचित बताया।
जयशंकर ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि रूस से प्राकृतिक गैस (LNG) खरीदने में यूरोपीय संघ सबसे आगे है, जबकि दक्षिणी देशों ने 2022 के बाद भारत से ज्यादा व्यापार बढ़ाया है। इसके बावजूद भारत पर हाई टैरिफ लगाना समझ से परे है। उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए रूस से कच्चा तेल खरीदना एक व्यावहारिक और रणनीतिक फैसला है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा की है कि भारत पर 27 अगस्त से 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू होगा। उनका तर्क है कि भारत की तेल खरीद रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद कर रही है।
दोनों देशों के बीच बैठक में व्यापार घाटा कम करने और संतुलन बनाने पर सहमति बनी। रूस ने भारत से कृषि उत्पाद, दवाइयों और कपड़ों का आयात बढ़ाने का वादा किया है। जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस नॉन-टैरिफ बाधाओं और रेगुलेटरी समस्याओं को दूर करने पर काम करेंगे, जिससे भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार असंतुलन कम होगा।
रूस के डिप्लोमेट रोमन बाबुश्किन ने कहा कि भारत को रूसी कच्चे तेल पर करीब 5% की छूट मिल रही है। उनके मुताबिक, रूसी तेल भारत के लिए सबसे सस्ता विकल्प है और इसकी आपूर्ति बदलने का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने अमेरिकी दबाव को गलत ठहराते हुए कहा कि भारत को इससे भारी आर्थिक लाभ हो रहा है।
यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से केवल 0.2% यानी करीब 68 हजार बैरल प्रतिदिन तेल आयात करता था। मई 2023 तक यह बढ़कर 20 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया। 2025 के जनवरी से जुलाई के बीच भारत औसतन 17.8 लाख बैरल प्रतिदिन रूसी तेल खरीद रहा है। पिछले दो साल से भारत हर साल 130 अरब डॉलर से अधिक का रूसी तेल आयात कर रहा है।