Priyanshi Soni
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Priyanshi Soni
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तेहरान। इजराइल और ईरान के बीच हुई 12 दिवसीय जंग तो थम गई है, लेकिन उसके बाद शुरू हुई राजनयिक और जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। इस विवाद की सबसे अहम कड़ी बनी है अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के बीच बयानबाजी। ट्रंप ने दावा किया कि, उन्होंने खामेनेई को एक “भयानक और अपमानजनक मौत” से बचाया था। इस पर ईरान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “मैंने खामेनेई को मौत से बचाया, हालांकि मुझे उनसे धन्यवाद की उम्मीद नहीं है।”
ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उन्हें खामेनेई के ठिकाने की पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इजराइल और अमेरिकी सेना को उनकी हत्या से रोक दिया। ट्रंप ने खामेनेई के उस बयान को भी झूठा करार दिया जिसमें उन्होंने इजराइल के खिलाफ जंग में ईरान की जीत का दावा किया था।
ट्रंप ने आगे कहा कि ईरान की सेना, अर्थव्यवस्था और भविष्य अब पूरी तरह बर्बादी की ओर बढ़ चुके हैं। उन्होंने लिखा, “ईरान वैश्विक व्यवस्था में शामिल होने के बजाय गुस्सा और नफरत फैला रहा है।” उन्होंने कहा कि ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को नष्ट किया जा चुका है और ईरान अब अपनी हार को छुपाने के लिए झूठा प्रचार कर रहा है।
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने ट्रंप के बयान को “अपमानजनक और अस्वीकार्य” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर चेतावनी देते हुए कहा, “अगर ट्रंप ईरान के सर्वोच्च नेता से किसी समझौते की उम्मीद रखते हैं, तो उन्हें इस तरह की बयानबाजी बंद करनी होगी।” ईरान ने कहा कि ट्रंप जानबूझकर तनाव बढ़ा रहे हैं और इस तरह के बयानों से शांति वार्ता और कूटनीति को नुकसान पहुंचता है।
इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा, “अगर खामेनेई हमारी पहुंच में होते तो हम उन्हें खत्म कर देते।” उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे मिशन के लिए इजराइल को किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है, यहां तक कि अमेरिका की भी नहीं।
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कहा कि, “अगर इजराइली हमलों का जवाब नहीं दिया जाता, तो पूरा क्षेत्र जंग की आग में जल सकता था।” उन्होंने बताया कि उस समय ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को लेकर बातचीत चल रही थी, लेकिन इजराइल ने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला कर दिया।
पजशकियान के मुताबिक, ये हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन था क्योंकि ईरान की परमाणु साइट्स IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) की निगरानी में थीं।
ईरानी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और IAEA से अपील करते हुए कहा कि, “इजराइल के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। अब नरमी की नीति खत्म होनी चाहिए।” उन्होंने ईरान पर हुए हमले की निंदा करने वाले देशों को धन्यवाद भी दिया और यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA (Free Trade Agreement) को क्षेत्रीय समृद्धि के लिए जरूरी बताया।