People's Reporter
11 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
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9 Nov 2025
नई दिल्ली। भारत ने अगस्त 2025 में रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाकर 20 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) कर दी है। वैश्विक डेटा और विश्लेषण कंपनी केपलर के अनुसार, अगस्त के पहले पखवाड़े में भारत द्वारा आयात किए गए कुल 52 लाख बैरल प्रतिदिन तेल में से लगभग 38 प्रतिशत हिस्सा रूस से आया। जुलाई में यह मात्रा 16 लाख बैरल प्रतिदिन थी, यानी एक महीने में इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई। रूस से आयात बढ़ने का असर अन्य देशों से खरीद पर पड़ा है। अगस्त में इराक से आयात घटकर 7.3 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया, जबकि सऊदी अरब से खरीद जुलाई के 7 लाख बैरल प्रतिदिन से घटकर 5.26 लाख बैरल प्रतिदिन रह गई। अमेरिका भारत का पाँचवां सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा और वहां से 2.64 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आया। केपलर के शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा कि रूस से आयात अगस्त में स्थिर रहा, जबकि जुलाई के अंत में ट्रंप प्रशासन ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की थी।
केपलर के शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा कि अभी दिखाई दे रही स्थिरता दरअसल पहले से तय अनुबंधों का नतीजा है, क्योंकि अगस्त के कार्गो जून और जुलाई की शुरूआत में ही बुक किए गए थे। इसलिए वास्तविक बदलाव चाहे टैरिफ, भुगतान की समस्या या शिपिंग की दिक्कतों के कारण हो, सितंबर के अंत या अक्टूबर से दिखाई देने लगेंगे। इंडियन आॅयल कॉपोर्रेशन (आईओसी) के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने भी साफ किया कि सरकार ने रूस से खरीद धीमी करने या रोकने के कोई निर्देश नहीं दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमें न तो अतिरिक्त खरीद करने के लिए कहा गया है और न ही खरीद कम करने के लिए। अप्रैल से जून तिमाही में आईओसी द्वारा प्रोसेस किए गए कच्चे तेल में रूस का हिस्सा लगभग 22 प्रतिशत रहा था और निकट भविष्य में इसमें बदलाव की संभावना नहीं है।
दूसरी ओर, भारत पेट्रोलियम कॉपोर्रेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निदेशक (वित्त) वेटसा रामकृष्ण गुप्ता ने एक निवेशक कॉल में बताया कि जुलाई में रूस से आयात में गिरावट आई थी, क्योंकि उस समय रूस द्वारा दिए जा रहे डिस्काउंट घटकर केवल 1.5 डॉलर प्रति बैरल रह गए थे। उन्होंने कहा कि जब तक रूस के तेल पर कोई नया प्रतिबंध नहीं लगता, कंपनी की रणनीति यही होगी कि साल के बाकी हिस्से में 30 से 35 प्रतिशत तेल रूस से खरीदा जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि भारत अपने ऊर्जा आयात में आर्थिक लाभ को प्राथमिकता दे रहा है। रूस से तेल खरीदना भारत के लिए सस्ता पड़ रहा है, भले ही उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव हो। अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाकर कुल शुल्क को 50 प्रतिशत कर दिया है, लेकिन इसका फिलहाल भारत की रणनीति पर कोई सीधा असर नहीं पड़ा है। भविष्य में वैश्विक परिस्थितियों और नए प्रतिबंधों के आधार पर भारत की खरीद नीति में कुछ बदलाव संभव हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।