Aniruddh Singh
5 Oct 2025
मुंबई। प्रसिद्ध निवेशक और मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (एमओएफएसएल) के सह-संस्थापक रामदेव अग्रवाल ने कहा है कि भारत एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुका है, जिसे धन सृजन का स्वर्ण युग कहा जा सकता है। उन्होंने विश्वास जताया कि वर्ष 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था 32 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी, जिससे देश न केवल आर्थिक रूप से बल्कि निवेश के लिहाज से भी वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन जाएगा। रामदेव अग्रवाल का मानना है कि निवेश में सफलता भाग्य पर नहीं बल्कि अनुशासन और धैर्य पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, कोई भी व्यक्ति वॉरेन बफेट बन सकता है, बशर्ते उसके अंदर सीखने की इच्छा और अनुशासित सोच हो। बफेट ने गलतियां कीं, लेकिन उन्होंने उनसे सबक लिया और निरंतर सुधार किया यही एक सफल निवेशक की पहचान है।
उन्होंने बताया आज भारत वही अवसर प्रदान कर रहा है जो कई दशक पहले अमेरिका ने निवेशकों को दिया था। उनके अनुसार, यह भारत के लिए एक बार मिलने वाला अवसर है, जहां लंबे समय तक टिके रहने वाले निवेशकों को अद्भुत संपत्ति निर्माण का मौका मिलेगा। अग्रवाल का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की है, और आने वाले 15 वर्षों में यह 16 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। वर्ष 2047–48 तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 32 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचना पूरी तरह संभव है। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में भारत की जीडीपी में डॉलर के हिसाब से 9% की वृद्धि हुई है, जबकि शेयर बाज़ार का मूल्य 13% की दर से बढ़ा है। यदि यही रफ्तार बनी रही, तो आने वाले वर्षों में भारतीय शेयर बाजार 15–16% की वार्षिक दर से बढ़ता रहेगा।
उन्होंने विकसित भारत की अवधारणा को रेखांकित करते हुए कहा कि यह वह युग होगा जब भारत की पूंजी बाज़ार प्रणाली विश्वस्तरीय स्तर पर विकसित हो जाएगी। विदेशी निवेशकों (एफआईआई) द्वारा हाल में की जा रही बिकवाली पर उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात नहीं है। अगर वे बेच रहे हैं, तो यह उनकी हानि है, हमारी नहीं। मैंने भारत में निवेश बनाए रखने का निर्णय लिया है, क्योंकि यहां निरंतर वृद्धि हो रही है। अग्रवाल का कहना है कि दुनिया में केवल अमेरिका और भारत ही ऐसे बाजार हैं जहां संपत्ति सृजन लगातार हुआ है। उन्होंने विश्वास जताया कि अगले 25 वर्षों में भारत की कहानी अमेरिका से भी अधिक रोमांचक हो सकती है। उन्होंने कहा कि जीएसटी में हालिया कटौती, कर सुधार और तेज़ क्रेडिट ग्रोथ भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाएंगे। जीएसटी दरों में कमी ने उपभोक्ताओं की जेब में अधिक धन छोड़ा है, जिससे मांग बढ़ेगी खासकर ऑटोमोबाइल, बीमा और उपभोक्ता वस्तु क्षेत्रों में।
अग्रवाल ने कहा कि जब बैंकिंग क्षेत्र में ऋण वितरण 8% से बढ़कर 14–15% तक जाएगा, तो आर्थिक विकास दर स्वतः तेज़ हो जाएगी। उनके अनुसार, 2026 की शुरुआत तक कंपनियों के मुनाफ़े में 20–30% की वृद्धि देखने को मिलेगी, जिससे शेयर बाज़ार भी नई ऊंचाइयां छूएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस विकास का नेतृत्व बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं (एनबीएफसी) और उपभोक्ता उत्पाद क्षेत्र करेंगे। जीएसटी कटौती के बाद डीलरों के पास स्टॉक की कमी की रिपोर्टें यह दर्शाती हैं कि मांग में तेजी आई है और दिसंबर तिमाही में नतीजे बेहतर हो सकते हैं। अग्रवाल ने निवेशकों को सलाह दी कि वे लंबी छलांग के बजाय छोटे-छोटे कदमों पर ध्यान दें। जब आप हिमालय चढ़ते हैं, तो शिखर को देखने के बजाय अगले दस कदमों पर ध्यान दें। उन्होंने कहा निवेश में अनुशासन और धैर्य ही सबसे बड़ा हथियार है।