Aniruddh Singh
7 Oct 2025
नई दिल्ली। सरकार जल्दी ही जीएसटी कर प्रणाली में व्यापक बदलाव करने जा रही है। इस सुधार पैकेज का सबसे बड़ा प्रस्ताव यह है कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर अब जीएसटी पूरी तरह खत्म की जा सकती है। फिलहाल, स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर 18% तक जीएसटी लगता है। अगर इस पर जीएसटी हटाने का निर्णय लिया गया तो लाखों लोगों को सीधी राहत मिलेगी और बीमा उत्पाद खरीदना सस्ता हो जाएगा। इस बदलाव से देश की बहुत बड़ी आबादी को राहत मिलेगी, जो महंगे होने की वजह से बीमा उत्पाद नहीं ले पा रहे थे। इस पर जीएसटी खत्म करने से लोगों के जीवन में जोखिम घटेगा और उनका जीवन आसान होगा। दिल्ली में हुई जीओएम की बैठक में इस प्रस्ताव को पास कर दिया है। अब यह प्रस्ताव अगले माह सितंबर में होने वाली जीएसटी काउन्सिल में अंतिम मंजूरी के लिए जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जीएसटी सुधारों की घोषणा की थी और इसे देशवासियों के लिए दिवाली गिफ्ट बताया था। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह (जीओएम) को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी 2.0 तीन स्तंभों पर आधारित होगा—संरचनात्मक सुधार, दरों का तार्किकीकरण और कारोबार करने में आसानी। सरकार का उद्देश्य है कि इस सुधार से न केवल टैक्स प्रणाली सरल हो बल्कि उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को राहत मिले। सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि मौजूदा 12% और 28% वाले जीएसटी स्लैब को खत्म कर दिया जाए और सिर्फ दो दरें रखी जाएं-5% और 18%। इसके अलावा कुछ विशेष वस्तुओं जैसे सिगरेट और लग्जरी कारों पर 40% की दर बनी रहेगी। इसका मतलब है कि ज्यादातर सामान्य और आवश्यक वस्तुएं 5% के दायरे में आ जाएंगी जबकि अधिकांश अन्य वस्तुएं और सेवाएं 18% पर रहेंगी। इससे टैक्स संरचना सरल होगी और आम लोगों के लिए वस्तुएं और सेवाएं अधिक सुलभ हो जाएंगी।
स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी हटाने का प्रस्ताव खास तौर पर महत्वपूर्ण है। अभी तक बीमा पॉलिसी लेते समय लोग प्रीमियम के साथ-साथ जीएसटी का बोझ भी उठाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी का स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम 20,000 रुपए है, तो उस पर लगभग 3,600 रुपए जीएसटी देना पड़ता है। यदि यह टैक्स खत्म कर दिया जाता है तो बीमा लेना काफी सस्ता हो जाएगा और अधिक लोग बीमा योजनाओं से जुड़ पाएंगे। यह कदम बीमा क्षेत्र में भी तेजी लाएगा और बीमा कंपनियों के ग्राहक आधार में वृद्धि होगी। हालांकि, इस प्रस्ताव पर कुछ राज्य सरकारों ने चिंता जताई है कि बीमा पर जीएसटी हटाने से राज्यों की कर वसूली पर असर पड़ सकता है। सवाल यह भी उठता है कि क्या कंपनियां इस राहत का पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाएंगी या फिर इसे अपना मुनाफा बढ़ाने में इस्तेमाल करेंगी। इसी वजह से केंद्र और राज्यों के बीच सहमति बनाना जरूरी है। वित्त मंत्री ने साफ किया है कि सरकार सहकारी संघवाद की भावना में राज्यों के साथ बातचीत कर व्यापक सहमति बनाएगी।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट का अनुमान जताया है कि यदि नए कर ढांचे को लागू किया जाता है तो प्रभावी भारित जीएसटी दर घटकर 9.5 फीसदी तक आ सकती है। लेकिन इससे सालाना करीब 85,000 करोड़ रुपए का राजस्व क्षति होगी। यदि इसे 1 अक्टूबर से लागू किया गया तो शुरूआती झटके के रूप में 45,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि यह सुधारात्मक ढांचा दीपावली से पहले लागू करने की कोशिश की जाएगी। इसलिए मंत्री समूह की सिफारिशें अगले माह जीएसटी परिषद की बैठक में रखी जाएंगी। कुल मिलाकर यह पहल जनता, किसानों, मध्यम वर्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सीधी राहत देने की दिशा में एक अहम कदम हो सकती है। हालांकि राज्यों के राजस्व पर इसका असर गंभीर हो सकता है, इसलिए परिषद को संतुलित समाधान तलाशना होगा।