People's Reporter
11 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी। बैठक सुबह 11 बजे से शुरू होगी और इसमें केंद्र तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। इसके पहले 2 सितंबर को अधिकारियों की बैठक भी होगी, जिसमेंजीएसटी काउन्सिल बैठक का एजेंडा तय किया जाएगा और काउंसिल के सामने रखे जाने वाले प्रस्तावों पर चर्चा होगी। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें केंद्र सरकार के जीएसटी प्रणाली में बदलाव के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में मंत्री समूह (जीओएम) इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे चुका है। अब जीएसटी काउन्सिल में इस पर अंतिम रूप से विचार किया जाएगा। वर्तमान में जीएसटी का ढांचा चार स्लैब में विभाजित है–5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। चार स्लैब होने की वजह से इस कर प्रणाली को कई जटिलएं हैं। जिनकी अक्सर शिकायत आती रही है। अब केंद्र सरकार और राज्यों की मंत्रियों की समितियों ने सुझाव दिया है कि इस ढांचे को सरल बनाकर केवल दो प्रमुख दरों में विभाजित जाए।
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प्रस्ताव के अनुसार, जिन वस्तुओं को जरूरी और जनहितकारी माना जाएगा, उन पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा जबकि बाकी वस्तुओं और सेवाओं को 18 प्रतिशत स्लैब में रखा जाएगा। इसके अलावा सरकार ने विशेष वस्तुओं के लिए एक अलग दर 40 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया है। इसमें अल्ट्रा-लक्जरी कारें, सिन गुड्स-जैसे शराब, सिगरेट और अन्य ऐसी वस्तुएं शामिल होंगी, जिन्हें सामान्य उपभोग से अलग माना जाता है और जिन पर अधिक कर लगाकर उपभोग को हतोत्साहित किया जाता है। वर्तमान में ऐसी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत टैक्स और अतिरिक्त सेस लगाया जाता है। यदि नया ढांचा लागू होता है तो इन वस्तुओं पर सीधे 40 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। लग्जरी कारों को भी इसी श्रेणी में रखे जाने का प्रस्ताव है। यह बदलाव न केवल टैक्स प्रणाली को सरल बनाएगा बल्कि उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के लिए समझने में आसानी होगी।
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इस समय एक ही श्रेणी की वस्तुएं अलग-अलग स्लैब में होती हैं, जिससे विवाद और भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। दो स्लैब संरचना लागू होने पर यह समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर राज्यों और केंद्र के बीच सहमति बनना आसान नहीं होगा। कई राज्य उच्च दरों से होने वाली अपनी कर आय के नुकसान को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में उन्हें भरोसा दिलाने के लिए केंद्र सरकार को मुआवजा देने या अतिरिक्त वित्तीय सहयोग जैसी घोषणा करनी पड़ सकती है। काउंसिल की बैठक में सेस और स्वास्थ्य तथा जीवन बीमा पर टैक्स पूरी तरह खत्म करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी। कुल मिलाकर, जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक देश की कर व्यवस्था के लिहाज से ऐतिहासिक हो सकती है। यदि दो-स्लैब का प्रस्ताव पारित होता है तो यह उपभोक्ताओं और कारोबारियों के लिए कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा।