Aniruddh Singh
20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
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20 Oct 2025
मुंबई। भारतीय शेयर बाजार के लिए अगस्त 2025 विदेशी निवेशकों (एफपीआई) की भारी बिकवाली वाला महीना साबित हुआ है। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने लगभग 4 अरब डॉलर यानी करीब 34,993 करोड़ रुपए के भारतीय शेयर बेचे, जो पिछले सात महीनों में सबसे बड़ी मासिक निकासी रही। इस साल जनवरी से अगस्त तक की कुल बिकवाली 14.9 अरब डॉलर (लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गई, जो साल 2022 के बाद की सबसे अधिक बिक्री है। साल 2022 में पहले 8 महीनों में विदेशी निवेशकों ने 21.4 अरब डॉलर की निकासी की थी। अगस्त के 19 कारोबारी सत्रों में से 15 में विदेशी निवेशक शुद्ध विक्रेता रहे। इसके पीछे मुख्य कारण दंडात्मक अमेरिकी टैरिफ और लगातार कमजोर होता रुपया रहा है।
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अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने और रुपये के 88 प्रति डॉलर के स्तर को पार करने से विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया। रुपए में लगातार 5% की गिरावट ने विदेशी पूंजी के लिए भारतीय शेयरों को कम आकर्षक बना दिया है। हालांकि, इस दबाव को घरेलू निवेशकों ने काफी हद तक संभाल लिया। भारतीय म्यूचुअल फंड्स और अन्य घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अगस्त में रिकॉर्ड खरीदारी की है। सेबी के आंकड़ों के अनुसार, 22 अगस्त तक घरेलू फंड्स ने 55,376 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे, जो पिछले 10 महीनों में सबसे ज्यादा था। इस वर्ष जनवरी से अगस्त तक घरेलू निवेशकों ने कुल 3.3 लाख करोड़ रुपए के शेयर खरीदे, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक हैं।
पिछले वर्ष के शुरुआती आठ महीनों में घरेलू निवेशकों की शुद्ध खरीद 2.5 लाख करोड़ रुपए रही थी। इस मजबूत खरीद का बड़ा आधार म्यूचुअल फंड्स में बढ़ता निवेश है। सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से निवेश लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है। जनवरी से अगस्त 2025 के बीच एसआईपी निवेश साल-दर-साल 31% बढ़कर 1,87,378 करोड़ रुपए हो गया है। केवल जुलाई महीने में ही एसआईपी योगदान ₹28,464 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे उच्च स्तर है। इससे स्पष्ट है कि छोटे निवेशकों का विश्वास भारतीय बाजारों में लगातार बढ़ रहा है। भले ही विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार पर दबाव बना हो, लेकिन घरेलू पूंजी का मजबूत प्रवाह एक तरह से बाजार को सहारा दे रहा है।
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पिछले साल सितंबर में निफ्टी ने 26,000 अंक का रिकॉर्ड पार किया था, जिसके बाद से विदेशी निवेशकों ने लगातार बिकवाली की प्रवृत्ति दिखाई। अक्टूबर 2024 में तो एक ही महीने में 11.2 अरब डॉलर की भारी निकासी हुई थी। इसके बाद से एफपीआई का रुख मुख्यतः नकारात्मक बना हुआ है। कुल मिलाकर तस्वीर यह बताती है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितताएं, अमेरिकी टैरिफ और रुपए की कमजोरी विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार से बाहर धकेल रही हैं। लेकिन दूसरी ओर घरेलू निवेशकों, खासकर म्यूचुअल फंड्स और एसआईपी के जरिए आने वाली पूंजी, बाजार की रीढ़ साबित हो रही है। इसका मतलब यह है कि भारतीय शेयर बाजार अब केवल विदेशी पूंजी पर निर्भर नहीं रह गया है, बल्कि घरेलू बचत और निवेश की ताकत पर मजबूती से खड़ा है। आने वाले समय में विदेशी निवेशकों की वापसी बाजार को और गति दे सकती है, लेकिन फिलहाल घरेलू निवेशकों ने इसकी नींव को मजबूत बनाए रखा है।