Aniruddh Singh
2 Oct 2025
Aniruddh Singh
2 Oct 2025
Aniruddh Singh
1 Oct 2025
Peoples Reporter
1 Oct 2025
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के दायरे को और व्यापक बनाने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने खासतौर पर अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों, गिग वर्कर्स और महिलाओं की पेंशन सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में सरकार की प्राथमिकताओं को सामने रखा। उन्होंने कहा गिग वर्कर्स और महिलाओं को भी पेंशन के दायरे में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा भारत की वृद्ध होती जनसंख्या को देखते हुए पेंशन सुधार समय की जरूरत है और इससे न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि एनपीएस को अपनाने में अब भी कई चुनौतियां हैं, जिनमें जागरूकता की कमी और जटिल प्रक्रियाएं शामिल हैं। इसीलिए उन्होंने सरल ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया की बात की ताकि गिग वर्कर्स और असंगठित क्षेत्र के कामगार आसानी से इस योजना से जुड़ सकें।
महिलाओं की सुरक्षा और भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पेंशन साथी या पेंशन सखी जैसी पहल का सुझाव दिया, जिसमें महिलाओं को प्रशिक्षित करके अन्य महिलाओं में पेंशन और रिटायरमेंट योजना की जागरूकता फैलाई जाएगी। यह कदम महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा और घर-परिवार के स्तर पर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ठोस योगदान देगा। सीतारमण ने कहा कि पेंशन प्रणाली को टिकाऊ बनाने के लिए योगदान राशि को संतुलित रखना, निवेश को विवेकपूर्ण ढंग से करना और महंगाई से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराना जरूरी है, ताकि यह योजना आर्थिक उतार-चढ़ाव में भी भरोसेमंद बनी रहे।
यह भी कहना था कि मजबूत पेंशन प्रणाली से न केवल परिवारों को वृद्धावस्था में सुरक्षा मिलती है बल्कि देश की घरेलू बचत दर भी बढ़ती है, जिससे दीर्घकालीन पूंजी निर्माण को गति मिलती है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि एनपीएस की शुरुआत से अब तक इक्विटी योजनाओं में औसतन 13 प्रतिशत सालाना रिटर्न मिला है, जबकि कॉर्पोरेट डेट और सरकारी सुरक्षा योजनाओं में लगभग 9 प्रतिशत का रिटर्न दर्ज किया गया है। यह दर्शाता है कि यह योजना निवेशकों के लिए सुरक्षित और लाभदायक साबित हुई है।
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संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 60 वर्ष से ऊपर की आबादी 2022 में 10.5 प्रतिशत थी, जो 2050 तक बढ़कर 20.8 प्रतिशत होने का अनुमान है। इसका सीधा अर्थ है कि आने वाले दशकों में वृद्धजनों की संख्या दोगुनी हो जाएगी और उनकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की बड़ी जिम्मेदारी होगी। वित्त मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि जब परिवार अपने भविष्य की आर्थिक योजना खुद बनाएंगे तो वे वास्तविक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगे और यही आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा का आधार है। उन्होंने कहा कि "यदि आप आत्मनिर्भर भारत चाहते हैं तो आत्मनिर्भर परिवार जरूरी हैं।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने इस अवसर पर कहा कि सरकार की कोशिश आर्थिक विकास, रोजगार और आय में बढ़ोतरी के माध्यम से घरेलू बचत को प्रोत्साहित करने की है। हाल के कर कटौती और घटती महंगाई के कारण लोगों की क्रय शक्ति और बचत क्षमता बढ़ी है, जो पेंशन जैसे दीर्घकालीन निवेश में सहायक होगी। कुल मिलाकर संदेश स्पष्ट है कि भारत को आने वाले वर्षों में वृद्धजन आबादी के लिए मजबूत पेंशन तंत्र की जरूरत है। गिग वर्कर्स और महिलाओं को इसमें विशेष रूप से शामिल करना सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से आवश्यक है।