Manisha Dhanwani
5 Nov 2025
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी समाज के सर्वोच्च नेता माने जाने वाले ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन का मंगलवार को उनके पैतृक गांव नेमरा (जिला रामगढ़) में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। आदिवासी परंपराओं के अनुसार, विधि-विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार बड़का नाला श्मशान घाट में किया गया। इस मौके पर भारी बारिश के बावजूद हजारों की संख्या में लोग अंतिम विदाई देने पहुंचे।
रांची से नेमरा तक का सफर एक भावनात्मक यात्रा बन गया। विधानसभा परिसर से जब शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर को नेमरा लाया जा रहा था, तब रास्ते भर लोग सड़क के दोनों ओर कतार में खड़े होकर 'गुरुजी अमर रहें' के नारे लगाते नजर आए। लोग हाथ जोड़कर श्रद्धांजलि देते रहे। पूरा रास्ता एक मौन जुलूस की तरह दिखाई दे रहा था।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सफेद कुर्ता-पायजामा में, कंधे पर पारंपरिक आदिवासी गमछा डाले हुए दिखाई दिए। उन्होंने न केवल एक मुख्यमंत्री के रूप में, बल्कि एक पुत्र के रूप में सभी धार्मिक कर्म किए।
शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी रांची पहुंचे। भारी बारिश के कारण हेलीकॉप्टर की बजाय वे सड़क मार्ग से रामगढ़ के नेमरा गांव पहुंचे। अंतिम यात्रा में राजद नेता तेजस्वी यादव, AAP सांसद संजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी रॉय, पप्पू यादव समेत कई दलों के नेता मौजूद रहे।
राज्य सरकार ने शिबू सोरेन के सम्मान में 6 अगस्त तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। 4 और 5 अगस्त को सभी सरकारी कार्यालय बंद रहे। अधिकतर स्कूलों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं। राजधानी रांची समेत कई जिलों में दुकानें और व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी शोक स्वरूप बंद रखे गए।
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81 वर्षीय शिबू सोरेन ने सोमवार को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। वे झारखंड आंदोलन के प्रमुख स्तंभ और आदिवासियों के हक की लड़ाई की आवाज थे। उन्हें 'दिशोम गुरु' यानी जनजातीय समाज का मार्गदर्शक कहा जाता था। उन्होंने झारखंड की राजनीति में आदिवासी अस्मिता को मजबूत किया और कई बार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई।