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धर्म डेस्क। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को धनतेरस या धनत्रयोदशी का पर्व मनाया जाता है। यही दिन दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का शुभारंभ भी माना जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी, कुबेर देवता और माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि धनतेरस पर की गई पूजा और खरीदारी से धन-संपत्ति और सुख-समृद्धि में 13 गुना वृद्धि होती है।
इस वर्ष धनतेरस की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि यह 18 या 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खरीदारी के समय के बारे में विस्तार से...

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर शनिवार को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ होकर 19 अक्टूबर रविवार को दोपहर 1 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि व्याप्त होती है, उसी दिन धनतेरस मनाने की परंपरा है। इसलिए धनतेरस 18 अक्टूबर (शनिवार) को मनाई जाएगी।
हालांकि, चूंकि 19 अक्टूबर को भी दोपहर 1:51 बजे तक त्रयोदशी रहेगी, इसलिए जो लोग 18 अक्टूबर को खरीदारी नहीं कर पाएंगे, वे 19 अक्टूबर को दोपहर तक खरीदारी कर सकते हैं। अर्थात् इस बार धनतेरस 18 और 19 अक्टूबर, दोनों दिन मनाई जा सकती है।

दिन के चौघड़िया (18 अक्टूबर)
रात्रिकाल के चौघड़िया (18 अक्टूबर रात)
इन मुहूर्तों में की गई खरीदारी या निवेश विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि धनतेरस के दिन मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी से धन-संपत्ति 13 गुना बढ़ती है। इस दिन निम्नलिखित वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ माना गया है-
मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण इस दिन को “धनत्रयोदशी” या “धनतेरस” कहा गया। भगवान धनवंतरी को आयुर्वेद के जनक और भगवान विष्णु का अंशावतार माना गया है। इस दिन उनकी पूजा से स्वास्थ्य, दीर्घायु और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसी दिन से दीपावली का शुभ आरंभ होता है, जो पांच दिनों तक मनाया जाता है।