Garima Vishwakarma
27 Nov 2025
धर्म डेस्क। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इनमें से मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत, पूजा और दान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी 2025 की तिथि 30 नवंबर शाम 4:30 बजे से 1 दिसंबर दोपहर 2:20 बजे तक रहेगी। उदय तिथि मानने के अनुसार यह व्रत सोमवार, 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि पर यानी 2 दिसंबर को सुबह 6:52 बजे से 9:03 बजे के बीच किया जाएगा।
कथा के अनुसार चंपा नगरी के राजा वैखानस ने एक रात स्वप्न में देखा कि उनके दिवंगत पिता नरक में दुख झेल रहे हैं। दुखी राजा एक मुनि के पास पहुंचे जहां उन्हें बताया गया कि उनके पिता अपने जीवन में पत्नी को दुख देते थे। समाधान के रूप में मुनि ने मोक्षदा एकादशी व्रत करने का निर्देश दिया। राजा ने श्रद्धापूर्वक व्रत किया और उसका पुण्य अपने पिता को समर्पित किया। इसके प्रभाव से उनके पिता को मोक्ष मिल गया।
मोक्षदा एकादशी के दिन चावल और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। क्रोध, विवाद और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा, मंत्र जाप और दान-पुण्य करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में शांति आती है।
मोक्षदा एकादशी व्रत का अत्यंत धार्मिक महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और उनके कष्ट दूर होते हैं। यह व्रत जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और शांति प्रदान करता है। साथ ही व्यक्ति के पापों का हरण होकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।