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Aditi Rawat
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धर्म डेस्क। सनातन धर्म में एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। सामान्यतः हर महीने दो ही एकादशी पड़ती हैं- एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष। लेकिन इस बार दिसंबर का महीना भक्तों के लिए बहुत खास होने जा रहा है क्योंकि इस महीने एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन-तीन शुभ एकादशियों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ऐसा योग कई वर्षों में एक बार देखने को मिलता है।
1 दिसंबर को आने वाली मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष में पड़ती है। कहा जाता है कि इस तिथि का व्रत मनुष्य को पापों से मुक्त कर मोक्ष की दिशा में ले जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी को देवताओं द्वारा पोषित वह तिथि बताया गया है जो साधक को सांसारिक बंधनों से पार कर आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।
इसके बाद 15 दिसंबर को सफला एकादशी पड़ रही है, जिसे सफलता दिलाने वाली एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जीवन में उन्नति मिलती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
महीने का अंत 30 दिसंबर की पौष पुत्रदा एकादशी से होगा। यह तिथि उन दंपत्तियों के लिए विशेष मानी जाती है जो लंबे समय से संतान सुख की कामना रखते हैं। इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और पितृदोष से मुक्ति मिलने का आशिर्वाद मिलता है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है एक सावन में और दूसरी पौष में और दोनों ही परिवार की खुशहाली के लिए अत्यंत शुभ कही गई हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिसंबर में पड़ रही इन तीनों एकादशियों का व्रत करने से भक्तों को न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और ईश्वरीय कृपा भी मिलती है। यह महीना हर भक्त के लिए आध्यात्मिक उत्थान और शुभ फल लेकर आ रहा है।