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धर्म डेस्क। आज पूरे देश में धनतेरस का पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है और इसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। इसी दिन से पांच दिन चलने वाले दीपावली महोत्सव की शुरुआत होती है। किंवदंती के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर प्रकट हुए थे, इसलिए यह दिन धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
द्रिक पंचांग के अनुसार,
त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे
तिथि का समापन: 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे
इस दिन पूरे दिन शुभ समय रहेगा, लेकिन कुछ खास मुहूर्त में खरीदारी और पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
सुबह का मुहूर्त: 8:50 बजे से 10:33 बजे तक
दोपहर का मुहूर्त: 11:43 बजे से 12:28 बजे तक
शाम का मुहूर्त (मुख्य पूजा काल): 7:16 बजे से 8:20 बजे तक
इन मुहूर्तों में की गई खरीदारी और पूजा पूरे वर्ष के लिए शुभ मानी जाती है।
शुभ काल: सुबह 7:49 से 9:15 बजे तक
चर काल: दोपहर 12:06 से 1:32 बजे तक
लाभ काल: दोपहर 1:32 से 2:57 बजे तक
अमृत काल: दोपहर 2:57 से शाम 4:23 बजे तक
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इन कालों में सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू, या इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं खरीदना विशेष लाभ देता है।
धनतेरस की शाम को यम दीपदान की परंपरा होती है। सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य द्वार पर चारमुखी दीपक जलाकर यमराज की आराधना की जाती है। यह दीपक परिवार की दीर्घायु और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
यम दीपक जलाने का समय: शाम 5:48 बजे से 7:04 बजे तक
अवधि: 1 घंटा 16 मिनट
धनतेरस के दिन की गई खरीदारी को सालभर शुभ फल देने वाला माना जाता है। इस दिन खरीदी जाने वाली वस्तुएं देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करती हैं।
सोना-चांदी: आभूषण या सिक्के खरीदना लक्ष्मी कृपा लाता है।
बर्तन: खासतौर पर तांबा या पीतल के बर्तन खरीदना शुभ माना गया है।
झाड़ू: घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए नई झाड़ू अवश्य लाएं।
धन्वंतरि पूजा सामग्री: औषधि, तिल, घी, और दीपक भी शुभ माने जाते हैं।
धनतेरस पूजन मुहूर्त: शाम 7:16 बजे से रात 8:20 बजे तक
इस समय मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से धन, आरोग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। पूजन के समय दीपक जलाएं, तिलक करें, धूप-दीप अर्पित करें और “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
धनतेरस केवल धन और खरीदारी का पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य और आयु वृद्धि का भी प्रतीक है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, वे समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए, इसलिए इस दिन उनका पूजन करने से व्यक्ति को आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।
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विवरण |
जानकारी |
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नक्षत्र |
पूर्वाफाल्गुनी (15:41 तक) |
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करण |
तैतिल 12:19 तक, गर 25:02 तक |
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योग |
ब्रह्म (25:47 तक) |
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वार |
शनिवार |
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सूर्योदय |
6:24 बजे |
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सूर्यास्त |
5:47 बजे |
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चंद्र राशि |
कन्या |
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राहुकाल |
9:15 से 10:40 बजे तक |
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अभिजीत मुहूर्त |
11:43 से 12:28 बजे तक |