Shivani Gupta
18 Oct 2025
नई दिल्ली। दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो गई है। प्रदूषण के स्तर में लगातार बढ़ोतरी की वजह से क्षेत्र की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, 18 अक्टूबर की सुबह 8 बजे दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 254 दर्ज किया गया, जबकि कई इलाकों में यह 350 से ऊपर चला गया।
आनंद विहार (AQI 390), वज़ीरपुर (351) और जहांगीरपुरी (342) जैसे इलाकों में स्थिति गंभीर है, जहां हवा में मौजूद प्रदूषक कण खतरनाक स्तर तक पहुंच चुके हैं।
दिल्ली में सुबह-सुबह लोगों को धुंध की मोटी परत की वजह से सांस लेने में कठिनाई हुई। PM 2.5 का स्तर 149 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और PM 10 का स्तर 239 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। ये आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा से कई गुना ज्यादा हैं। धीमी हवा की रफ्तार (5 किमी/घंटा) और नमी की वजह से धूल और धुआं वातावरण में फंसा रह गया है, जिससे स्मॉग की स्थिति बन गई।
दिल्ली के अलावा एनसीआर के अन्य शहरों में भी प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है।
नोएडा: AQI 288
गुरुग्राम: AQI 266
ग्रेटर नोएडा: AQI 272
गाजियाबाद: AQI 306
इन शहरों का प्रदूषण स्तर इन्हें देश के सबसे प्रदूषित इलाकों में शुमार करता है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP-I) पहले ही लागू किया हुआ है। यह तब लागू होता है जब AQI 200 से 300 के बीच पहुंचता है। इस चरण में 27 निवारक उपाय जैसे पानी का छिड़काव, एंटी-स्मॉग गन, सड़कों की धूल नियंत्रण, निर्माण कार्यों पर निगरानी आदि की जाती है। फिर भी वायु गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं देखा गया है।
प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) की तैयारी पूरी कर ली है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि, मौसम विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद दिवाली के एक दिन बाद कुछ इलाकों में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। इसके लिए क्लाउड ब्लास्टिंग और नमी के स्तर का अध्ययन जारी है।
प्रदूषण बढ़ने की एक प्रमुख वजह हरियाणा और पंजाब में पराली जलाना है। हालांकि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2015 में पराली जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया था, फिर भी हर साल अक्टूबर-नवंबर में इसका असर दिल्ली की हवा पर नजर आता है। CAQM अधिनियम 2021 के तहत सरकार ने जुर्माने का प्रावधान किया है-
इसके बावजूद किसानों के लिए ठोस विकल्पों की कमी के कारण पराली जलाना जारी है।
इस साल दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने केवल ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि, नियमों का पालन नहीं होने पर हवा और भी जहरीली हो सकती है। वायु प्रदूषण विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा प्रदूषण स्तर पर हर दिन का एक्सपोजर लगभग 5.6 सिगरेट पीने के बराबर है।