Aakash Waghmare
18 Oct 2025
Aakash Waghmare
17 Oct 2025
Mithilesh Yadav
17 Oct 2025
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए वाम दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी कड़ी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी भाकपा (माले) ने अपने 20 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। यह सूची दो चरणों के चुनावी कार्यक्रम को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
भाकपा (माले) ने इस बार उन इलाकों पर खास ध्यान दिया है, जहां संगठन की जड़ें मजबूत हैं। खासकर एससी (अनुसूचित जाति) आरक्षित सीटों पर। पार्टी ने सामाजिक संतुलन और स्थानीय जनाधार को ध्यान में रखते हुए अपने उम्मीदवारों का चयन किया है।
भाकपा (माले) ने पहले चरण में 14 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। इनमें कई प्रमुख नाम शामिल हैं, जो पहले भी विधानसभा या जन आंदोलनों में एक्टिव रहे हैं। इन सीटों पर 6 नवंबर को वोटिंग होगी।
पहले चरण के उम्मीदवार और सीटें:
पहले चरण में शामिल ये अधिकांश सीटें भोजपुर, सारण, गया और पटना जिलों से जुड़ी हैं। जहां माले का पुराना जनाधार मौजूद है।
भाकपा (माले) ने दूसरे चरण में 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं। इन सीटों पर मतदान 11 नवंबर को होगा।
दूसरे चरण के उम्मीदवार:
ये इलाके सीमांचल, मगध और कैमूर बेल्ट से जुड़े हैं, जहां वामपंथी राजनीति की ऐतिहासिक पकड़ रही है।
भाकपा (माले) महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) की सहयोगी पार्टी है। जिसमें राजद, कांग्रेस, वामदल और वीआईपी शामिल हैं। हालांकि, सीटों के बंटवारे को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। राजद की बड़ी मौजूदगी और कांग्रेस की राज्यस्तरीय दावेदारी के बीच सीटों के समीकरण तय नहीं हो पाए हैं। कुछ सीटों पर एक से अधिक उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल करने से यह संकेत मिल रहा है कि “फ्रेंडली फाइट” की स्थिति बन सकती है, अगर उम्मीदवार 20 अक्टूबर तक नाम वापस नहीं लेते।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, पहले चरण की 121 विधानसभा सीटों के लिए 1,250 से अधिक प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है। हालांकि, कुछ जिलों से जानकारी अभी आनी बाकी है। ऐसे में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। वहीं एनडीए गठबंधन जहां आत्मविश्वास के साथ प्रचार में जुटा है, वहीं महागठबंधन में टिकट बंटवारे की देरी से भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
भाकपा (माले) ने अपनी सूची जारी कर यह साफ कर दिया है कि वह इस चुनाव में सिर्फ औपचारिक भूमिका नहीं निभाने जा रही, बल्कि राज्यव्यापी उपस्थिति दर्ज कराने का लक्ष्य रखती है। पार्टी का फोकस ग्रामीण इलाकों, दलित-आदिवासी समुदाय और किसान वर्ग पर है। विश्लेषकों का मानना है कि, अगर माले अपने पारंपरिक जनाधार को सक्रिय रखने में सफल रहती है, तो यह महागठबंधन के समीकरणों पर सीधा असर डाल सकती है।