Manisha Dhanwani
6 Dec 2025
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बार फिर अफगानिस्तान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान में रह रहे सभी अफगान नागरिकों को अपने देश वापस लौटना होगा, क्योंकि
ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में कहा कि, पाकिस्तान ने हमेशा पड़ोसी होने के नाते अफगान नागरिकों को आश्रय दिया, लेकिन अब वे यह भार उठाने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि, अगर अफगानिस्तान के भारत के साथ अच्छे संबंध हैं, तो ये अफगान भारत में क्यों नहीं रहते।
सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने विवादित बयान देते हुए कहा कि, “अफगान तालिबान के फैसले दिल्ली से लिए जा रहे हैं। अफगानिस्तान भारत के लिए प्रॉक्सी वॉर लड़ रहा है।” इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि, अगर पाकिस्तान को उकसाया गया, तो सैन्य कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन अगर तालिबान ने युद्ध का दायरा बढ़ाया तो जवाबी हमला होगा।
ख्वाजा आसिफ ने कहा कि, 2021 के बाद से पाकिस्तान को अफगान धरती से बड़े नुकसान उठाने पड़े हैं। उन्होंने बताया कि, 10,347 आतंकी हमले हुए। इसमें 3,844 लोग मारे गए। पाकिस्तान बार-बार अफगान सरकार से कहता रहा कि, उसके इलाके का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमले के लिए न किया जाए।
आसिफ ने साफ किया कि, अब काबुल पर भरोसा नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान अब सिर्फ अपने सुरक्षा और संसाधनों की रक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि, आतंकवाद की हर गतिविधि का पाकिस्तान जवाब देगा और यदि अफगान तालिबान युद्ध की इच्छा जताता है, तो पाकिस्तान पूरी ताकत से उसका सामना करने के लिए तैयार है।
8 अक्टूबर: खैबर पख्तूनख्वा में TTP (पाकिस्तानी तालिबान) का पाक सैनिकों पर हमला, 23 सैनिक मारे गए।
9 अक्टूबर: पाकिस्तान ने काबुल में हवाई हमला किया, TTP नेता नूर वली महसूद को निशाना बनाया।
10 अक्टूबर: पाकिस्तान ने पक्तिका प्रांत में एक बाजार पर बमबारी की।
11-12 अक्टूबर: अफगान तालिबान ने पाकिस्तानी चौकियों पर हमला, दोनों ओर सैकड़ों मौतें।
12 अक्टूबर: अफगानिस्तान ने सीजफायर की घोषणा की, पाकिस्तान ने हमले जारी रखे।
15 अक्टूबर: पाकिस्तान ने स्पिन बोल्डक (कंधार) में हवाई हमला किया, 15 नागरिक मारे गए।
दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव की सबसे बड़ी वजह डूरंड लाइन विवाद है। 1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच यह सीमा तय की गई थी। 2430 किलोमीटर लंबी यह लाइन बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और कबायली इलाकों से गुजरती है। तालिबान इसे मान्यता नहीं देता, उसका कहना है कि यह औपनिवेशिक समझौता अब खत्म हो चुका है।