Mithilesh Yadav
2 Oct 2025
Hemant Nagle
1 Oct 2025
पल्लवी वाघेला
भोपाल। आमतौर पर पापा बेटी के हीरो होते हैं, यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है। इसमें न केवल पिता बेटी की ढाल बनकर खड़े हुए बल्कि उसे न्याय दिलाने के लिए कानून के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर भी लड़ाई लड़ी। 7 साल की लड़ाई के बाद आखिर बेटी के गुनहगार को सजा दिलाने में वो कामयाब रहे। 15 साल की रोशनी (काल्पनिक नाम) भोपाल में अपने भाई के घर रहकर पढ़ाई करती थी। इस बीच जब वह अपने घर सतना गई तो उसके पड़ोस में रहने वाले 19 वर्षीय युवक ने उसके साथ बलात्कार किया। युवक ने उसे धमकाया और कहा कि वह उससे शादी कर लेगा, लेकिन वह ये बात किसी को नहीं बताए। रोशनी इस बीच छह दिन घर रही और आरोपी उसे धमकाकर उसका शोषण करता रहा। रोशनी के भोपाल आने के दो माह के भीतर ही आरोपी ने शादी कर ली। कुछ महीनों में रोशनी की तबीयत बिगड़ी तो पता चला कि वह चार माह की गर्भवती थी।
पिता के शब्दों में 'मेरे पैरों के तले से जमीन निकल गई थी। सब मेरी बेटी से आरोपी का नाम पूछने में लगे थे, लेकिन मुझे उसकी हेल्थ और फ्यूचर की चिंता हो रही थी। उसका गर्भपात कराया। केस लड़ने की बात की तो पत्नी और बेटे भी खिलाफ हो गए। मुझे यह सही नहीं लगा। बेटी को कहा-डरो मत और हमने केस लगाया और भोपाल में अलग रहने लगा और काम शुरू किया। गौरवी वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर में बेटी की काउंसलिंग चली। हमने बेटी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। वह इंजीनियरिंग कर रही है। करीब सात साल के लंबे इंतजार के बाद मार्च में आरोपी को सजा हुई।
इस बारे में रोशनी कहती है कि केस के बाद उसके पिता को पैसे देकर, डराकर केस वापस लेने का दबाव बनाया गया। उसे भी कहा गया कि बयान बदल दें, उनके घर के नौकर पर आरोप लगाने का दबाव भी बनाया, लेकिन पिता ने उसे हमेशा हिम्मत दी और वह खुश है कि अपने आरोपी को सजा दिलवा पाई।