Naresh Bhagoria
15 Nov 2025
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने भोपाल के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से कॉलेज की मान्यता लेने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने भोपाल कमिश्नर को तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं और इसकी जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करने को भी कहा है।
यह कार्रवाई इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज, भोपाल की मान्यता को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान की गई, जहां कोर्ट ने पाया कि विधायक आरिफ मसूद ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कॉलेज की मान्यता प्राप्त की थी।
जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए कॉलेज में नए दाखिलों पर पूर्ण रोक लगा दी है। साथ ही, राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी गठित की जाए। यह टीम ADG संजीव शमी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय होगी और उसे 90 दिनों के भीतर अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि, "बिना राजनीतिक संरक्षण के इतने वर्षों तक यह कॉलेज नहीं चल सकता था।" कोर्ट ने इस पूरे मामले को शिक्षा व्यवस्था के साथ धोखा बताया और छात्र हितों की रक्षा के लिए एसआईटी जांच को जरूरी माना।
इस मामले की शिकायत पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह ने की थी। शिकायत के आधार पर हुई जांच में उच्च शिक्षा आयुक्त ने माना कि इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता अमान्य दस्तावेजों और कूटरचित सेल डीड के आधार पर ली गई थी।
जांच में यह भी सामने आया कि जिस सेल डीड के आधार पर कॉलेज के संचालन की अनुमति ली गई थी, वह जाली थी और फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कार्यालय में दर्ज करवाई गई थी। इस खुलासे के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी थी, हालांकि छात्रों की पढ़ाई को प्रभावित न करते हुए उन्हें पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
भोपाल के खानूगांव क्षेत्र में स्थित इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज का संचालन अमन एजुकेशन सोसाइटी करती है, जिसके सचिव स्वयं आरिफ मसूद हैं। हाईकोर्ट द्वारा दर्ज की गई टिप्पणियों और जांच में मिले तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट हो गया है कि विधायक की सीधी भूमिका इस पूरे फर्जीवाड़े में सामने आई है।
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