Manisha Dhanwani
8 Nov 2025
नरेश भगोरिया, भोपाल। आईएएस नियाज खान 31 अक्टूबर को रिटायर हो गए हैं। वे रिटायर होने के बाद छुट्टी मनाने के लिए केरल पहुंचे। रिलेक्स मूड में खान फिलहार रिटायरमेंट के बाद के लम्हों को आनंद के साथ बिताना चाहते हैं। पीपुल्स अपडेट से बातचीत में उन्होंने पोस्ट रिटायरमेंट प्लान पर बात की। उन्होंने कहा कि निजी तौर पर पर्यावरण के लिए काम करना अब लक्ष्य रहेगा। राजनीति में आने की इच्छा के बारे में पूछने पर खान कहते हैं कि यह मेरा फोकस एरिया नहीं है, लेकिन कोई अच्छे संगठन या लोगों की ओर से ऑफर आता है तो इस पर विचार कर सकता हूं। हालांकि उसमें भी वे समाज के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा को प्राथमिकता देंगे।
दरअसल, नियाज खान अपने सेवाकाल से ही विभिन्न विषयों पर अपने विचारों का लेकर सुर्खियों में रहे हैं। रिटायरमेंट के कुछ महीने पहले खान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोल कराया था। इसमें उन्होंने पूछा था कि राजनीति में आना चाहिया या नहीं? इसके जवाब में ज्यादातर लोगों ने उन्हें सलाह दी थी कि राजनीति आपके लिए ठीक नहीं है।हालांकि कुछ लोगों ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक जवाब भी दिए थे। इसके बाद खान ने अपना इरादा बदल लिया था, लेकिन फिर भी वे अब कहते हैं कि किसी अच्छे प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।
खान कहते हैं कि पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करने मेरे जीवन की प्राथमिकता है। जब मैंने वेद पढ़े तो मुझे पता चला कि प्रकृति को बचाना क्यों जरूरी है, पानी और धरती की पूजा क्यों की जानी चाहिए। उन्होंने कहा मैं अपने निजी जीवन में भी पर्यावरण की रक्षा के छोटे-छोटे उपाय भी करता हूं, जैसे कम कपड़ों, कम जूतों में काम चलाना। जहां पॉलीथिन दिखे वहां उठाकर डस्ट बिन में फेंकना। अभी तो व्यक्तिगत रूप से काम करता हूं, बाद में अगर किसी एनजीओ के साथ मिलकर काम करने का मौका मिला तो करूंगा।
खान ने बताया कि शासकीय सेवा में रहते लिखने के लिए कम समय मिलता था और खुलकर लिखना भी मुमकिन नहीं हो पाता था। अब मैं अपनी खुद की जीवनी लिखने जा रहा हैं, उसका टाइटल होगा- टियर्स ऑफ एसिड। ऐसा टाइटल रखने के पीछे क्या वजह है पूछने पर खान ने कहा अभी इस बारे में कहना जल्दबाजी होगी, किताब लिखने में थोड़ा वक्त लगेगा। बता दें कि नियान खान अब तक 11 अंग्रेजी उपन्यास लिख चुके हैं। इनमें द ग्रेट ब्राह्मण खासा चर्चित रहा है।
नियाज खान के बयान अक्सर विवादों में रहे हैं। उन्होंने पिछले साल बकरीद से पहले एक पोस्ट में लिखा था कि भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू हैं। इस्लाम तो अरब का धर्म है, यहां तो सभी हिंदू। हिंदू से लोग मुस्लिम बनाए गए थे, इसलिए भले ही धर्म अलग-अलग हो, लहू तो एक ही है। सभी एक संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। अगर जो मुस्लिम अरब के लोगों को आदर्श मानते हैं वो पुनर्विचार करें। सर्वप्रथम हिंदुओं को अपना भाई माने, बाद में अरब को। नियाज खान ने कहा कि मैंने जो भी बातें कही है, वो वैज्ञानिक आधार पर कही हैं। इस बयान पर वे काफी ट्रोल किए गए थे।
‘एक ब्राह्मण हज़ारों के बराबर होता है। इतिहास भी ब्राह्मणों ने बदला है। ब्राह्मण देश का केंद्र बिंदु हैं और एक शक्तिशाली राष्ट्र के लिए नफ़रत का अंत होना ज़रूरी है। ब्राह्मणों को आगे आकर इसे ख़त्म करना चाहिए।’ ‘बड़े-बड़े फिल्मी सितारों ने हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाकर उन्हें मुसलमान बनाया, वहां आज भी ऐसा हो रहा है। धर्म परिवर्तन गलत है क्योंकि हम एक धर्म को बाकी सभी धर्मों से ऊपर मानते हैं और दूसरे धर्म को छोटा समझकर दूसरे धर्म को अपने धर्म में शामिल होने के लिए कहते हैं, यह मूलतः बहुत गलत है।’ ‘अलग-अलग मौकों पर मुस्लिम नरसंहार के बारे में किताब लिखने की सोच रहा हूं, ताकि कश्मीर फाइल्स की तरह कोई फिल्म बनाई जा सके। हत्या किसी मुस्लिम, हिंदू या सिख की नहीं होती, बल्कि एक इंसान की होती है।’