Manisha Dhanwani
18 Oct 2025
Peoples Reporter
15 Oct 2025
Peoples Reporter
15 Oct 2025
धर्म डेस्क। दीपावली से एक दिन पहले पूरे देश में छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। आज पूरे देश में छोटी दिवाली मनाई जाएगी। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र माना गया है। इसे रूप चौदस, काली चौदस और यम चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन यम देवता की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन यमराज की पूजा करने और यम दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।
अभ्यंग स्नान का समय: सुबह 5:12 से 6:25 बजे तक
यम दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त: शाम 5:50 से 7:02 बजे तक
काली चौदस का मुहूर्त: रात 11:41 से 12:31 बजे तक (20 अक्टूबर)
नरक चतुर्दशी का अर्थ ही है पाप और नकारात्मकता से मुक्ति। इस दिन तड़के उठकर स्नान, दीपदान और यमराज की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि, इस दिन जो व्यक्ति यम दीपक जलाता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और उसे नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह दिन रूप चौदस के नाम से भी जाना है क्योंकि इस दिन स्नान और उबटन लगाने से न सिर्फ शरीर सुंदर होता है बल्कि आत्मिक पवित्रता भी प्राप्त होती है।
छोटी दिवाली पर कुल 14 दीपक जलाने की परंपरा है।
मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में आटे या गोबर से बना चार बाती वाला दीपक यमराज के निमित्त जलाना शुभ माना जाता है। दीप जलाते समय “मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदशी दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम॥” मंत्र का जाप करना चाहिए।
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में नरकासुर नाम का एक अत्याचारी राक्षस था जिसे वरदान मिला था कि वह केवल भूदेवी (पृथ्वी माता) के हाथों ही मारा जा सकता है। वरदान के अभिमान में नरकासुर ने देवताओं, ऋषियों और स्वर्ग की अप्सराओं को बंदी बना लिया।
जब अत्याचार बढ़ गया, तो भगवान श्रीकृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा (जो भूदेवी का अवतार थीं) के साथ युद्ध के लिए निकले। युद्ध में जब नरकासुर ने कृष्ण को घायल कर दिया, तो सत्यभामा ने अपने बाण से नरकासुर का वध कर दिया। यह घटना कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन हुई थी। उसी दिन से नरक चतुर्दशी का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई, जो अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है, जबकि बड़ी दिवाली (मुख्य दीपावली) अमावस्या तिथि पर होती है। छोटी दिवाली भगवान कृष्ण के नरकासुर वध की याद में और बड़ी दिवाली भगवान राम के अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाई जाती है।