Mithilesh Yadav
15 Oct 2025
Mithilesh Yadav
15 Oct 2025
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में शुक्रवार को इतिहास रच गया। जगदलपुर के पुलिस लाइन परिसर में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया। इन नक्सलियों ने 153 आधुनिक हथियार पुलिस के हवाले किए, जिनमें 19 एके-47, 23 इंसास राइफलें, 17 एसएलआर, एक लाइट मशीन गन और 11 बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) शामिल हैं। सरकार ने इसे 'नक्सल विरोधी अभियान का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण' बताया है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत घर, जमीन और तीन साल तक आर्थिक सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा, हमारे ये भाई-बहन अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। उन्हें संविधान की प्रति दी गई है ताकि वे लोकतंत्र को समझें और अपनाएं। साय ने बताया कि नक्सलियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर, खेती के लिए जमीन और रोजगार से जोड़ने की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बस्तर में अब सड़कें बन रही हैं, बिजली और राशन गांव-गांव तक पहुंच रहा है और यह आत्मसमर्पण उसी बदलाव का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक की नक्सल हिंसा में जो मरे, वे भी हमारे ही लोग थे। मारने और मरने वाले दोनों ही आदिवासी हुआ करते थे। यह बात हमेशा मन को कचोटती थी। अब जब बड़ी संख्या में नक्सली पुनर्वास पर यकीन कर रहे हैं, तो मन को सुकून मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह दिन सिर्फ बस्तर के लिए नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर एक साथ आत्मसमर्पण पहले कभी नहीं हुआ।
गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि सरकार “आत्मसमर्पण” शब्द का इस्तेमाल नहीं करती, ये सब हमारे अपने लोग हैं। इन्होंने नया जीवन जीने का निर्णय लिया है। सरकार ने उनके सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि एक नक्सली शीर्ष नेता की ओर से जेल में बंद नक्सलियों की रिहाई की मांग की गई थी। सरकार ने इस पर सैद्धांतिक सहमति दी है कि जो नक्सली नक्सल विचारधारा का त्याग करेंगे, उन्हें भी पुनर्वास का मौका मिलेगा।
आत्मसमर्पण समारोह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, गृह मंत्री विजय शर्मा, और वरिष्ठ पुलिस व अर्धसैनिक बलों के अधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम में आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को भारतीय संविधान की प्रति और एक गुलाब देकर स्वागत किया गया। उन्हें तीन बसों के जरिए कार्यक्रम स्थल पर लाया गया था, जिनमें महिला नक्सलियों की संख्या पुरुषों से अधिक रही। मंच के पीछे लगे बैनर पर लिखा था- “पूना मार्गेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन- माओवादी कैडर्स का मुख्यधारा में पुनरागमन।” ‘पूना मार्गेम’ बस्तर पुलिस की एक विशेष पुनर्वास पहल है, जिसके तहत नक्सलियों को सम्मानजनक जीवन की ओर लौटने में मदद दी जाती है।
आत्मसमर्पण करने वालों में कई शीर्ष नक्सली नेता शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, इनमें रूपेश उर्फ सतीश (केंद्रीय समिति सदस्य), भास्कर उर्फ राजमन मंडावी, रनिता, राजू सलाम, धन्नू वेट्टी उर्फ संतू और रतन एलम (एरिया कमेटी सदस्य) शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह सामूहिक आत्मसमर्पण सरकार की नई रणनीति, स्थानीय प्रशासन और समुदाय की सहभागिता का परिणाम है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में बस्तर दौरे के दौरान अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर को नक्सल मुक्त क्षेत्र घोषित किया था। उन्होंने कहा था कि जो आत्मसमर्पण करेंगे, उनका स्वागत है; जो बंदूक उठाएंगे, उन्हें जवाब सुरक्षा बल देंगे। केंद्र सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल समस्या से पूरी तरह मुक्त किया जाएगा।