Manisha Dhanwani
26 Oct 2025
जबलपुर। सिवनी जिले के रहने वाले 31 वर्षीय सत्येंद्र यादव की मौत के बाद उनके अंगदान ने दो लोगों को नई जिंदगी देने की राह खोल दी है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में गुरुवार को ब्रेन डेड घोषित किए गए सत्येंद्र के अंगों को निकालकर अलग-अलग शहरों में भेजा गया। उनके दिल को अहमदाबाद और लिवर को भोपाल फ्लाइट से रवाना किया गया। एक किडनी जबलपुर में ही ट्रांसप्लांट की जाएगी, जबकि दूसरी को सुरक्षित रखा गया है।
जबलपुर प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के सहयोग से एक बार फिर ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया गया, ताकि अंगों को तेज़ी से डुमना एयरपोर्ट तक पहुंचाया जा सके। मेडिकल कॉलेज से डुमना एयरपोर्ट तक करीब 30 मिनट में एंबुलेंस पहुंची। दिल और लिवर को वहां से अलग-अलग फ्लाइट्स के जरिए अहमदाबाद और भोपाल भेजा गया।
गुरुवार सुबह से शुरू हुई प्रक्रिया में मेडिकल कॉलेज के चार डॉक्टरों की टीम ने करीब दो घंटे तक ऑपरेशन कर अंग निकाले। भोपाल से आई डॉक्टरों की टीम सुबह 10:30 बजे जबलपुर पहुंच गई थी, लेकिन अहमदाबाद से फ्लाइट लेट होने की वजह से प्रक्रिया में देरी हुई। शाम 4 बजे दिल अहमदाबाद भेजा गया और 4:20 बजे लिवर भोपाल के लिए रवाना किया गया।
जबलपुर से फ्लाई ओला फ्लाइट के जरिए निकला लिवर शाम 6 बजे भोपाल एयरपोर्ट पर पहुंचा, जहां से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उसे सिद्धांता अस्पताल तक ले जाया गया। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि ट्रांसप्लांट की सभी तैयारियां पूरी हैं। जैसे ही ऑर्गन पहुंचा, ऑपरेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
सत्येंद्र यादव जबलपुर में गैस डिलीवरी का काम करते थे। 4 अगस्त की रात एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए। उन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत बिगड़ती गई। बुधवार रात उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया। इसके बाद डॉक्टरों ने परिजनों से अंगदान की बात की और वे इसके लिए राज़ी हो गए।
सत्येंद्र के भाई विजय यादव ने कहा- "अगर हमारे भाई के अंगों से किसी की जान बच सकती है, तो इससे बड़ी सेवा कुछ नहीं हो सकती।"
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने बताया कि यह साल 2025 का तीसरा ग्रीन कॉरिडोर है। उन्होंने बताया कि सत्येंद्र का हार्ट, लिवर और दोनों किडनी निकाले गए हैं। भोपाल और अहमदाबाद में जरूरत के अनुसार उन्हें भेजा गया। जबलपुर में भी एक मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट की जाएगी। अंगदान के प्रति बढ़ती जागरूकता को डीन ने सराहा।