Manisha Dhanwani
21 Dec 2025
प्रवीण श्रीवास्तव, भोपाल। हाल ही में बुजुर्ग पूरन चंद जैन की मृत्यु के बाद देहदान किया गया। यह देहदान शहर के लिए मिसाल बन गया। दरअसल यह भोपाल में इस साल 65वां देहदान था। यह पहला मौका है जब इतने देहदान किए गए हों। मामला सिर्फ देहदान तक ही सीमित नहीं है, ट्रांसप्लांट की संख्या बढ़ रही है। बीते साल के मुकाबले इस साल ट्रांसप्लांट में 30 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है।
ऑर्गन डोनेशन को लेकर लोगों में बढ़ी जागरुकता का ही उदाहरण है कि पिछले एक सप्ताह में चार किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। हालांकि चिंता की बात यह है कि इसके बावजूद देश में होने वाले कुल ट्रांसप्लांट में मप्र का योगदान सिर्फ 0.7 फीसदी ही है। देश में हर साल 11 सौ से ज्यादा ब्रेन-डेड ट्रांसप्लांट होते हैं। इनमें से मप्र में सिर्फ सात से आठ ट्रांसप्लांट ही होते हैं। यह आंकड़े नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यु ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (नोट्टो) की हाल ही में जारी एनुअल रिपोर्ट 2024-25 से सामने आए हैं।
ऑर्गन डोनेशन में राजधानी भोपाल सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई। साल 2024 में शहर में महज 40 देहदान हो सके थे, जो 2025 में 65 तक पहुंच गया है। इसी तरह बीते साल की तुलना में किडनी ट्रांसप्लांट भी 87 के मुकाबले 123 हो गया। इसी दौरान इस साल तीन हार्ट ट्रांसप्लांट किए गए। हालांकि लिवर ट्रांसप्लांट के लिहाज से यह साल निराशाजनक रहा। इस साल शहर में एक भी लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो सका।
शहर में जल्द ही लंग्स ट्रांसप्लांट भी शुरू किया जाएगा। एम्स भोपाल में प्रदेश की सबसे बड़ी ट्रांसप्लांट यूनिट शुरू की जा रही है। यहां लंग्स ट्रासप्लांट के साथ पीडियाट्रिक किडनी ट्रांसप्लांट भी किया जाएगा। इसके अलावा हमीदिया अस्पताल में भी पीडियाट्रिक किडनी ट्रांसप्लांट और बीएमएचआरसी में किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारी की जा रही है।
जबलपुर : यहां पहली बार 7 बच्चों के बोन मैरो एवं न्यूरो ब्लॉस्टोमा ट्रांसप्लांट किया गया। 2025 में एक किडनी ट्रांसप्लांट की गई। 2024 में 5 मरीजों की किड़नी ट्रांसप्लांट की गई थी। यही नहीं इस साल 20 लोगों की देहदान की।
ग्वालियर : बड़े अस्पताल जेएएच के हॉस्पिटल में अभी तक अग प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू ही नहीं हो पाई है। यहां 2025 में एक भी नेत्र दान नहीं हुआ है। वहीं देहदान में भी गत वर्ष की तुलना में पीछे रहा। पिछले सात 14 लोगों ने देहदान किया तो वर्ष 2025 में केवल 5 लोगों ने ही देहदान हुए।
इंदौर : ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में इंदौर प्रदेश में अव्वल है। 2024 में यहां 183 किडनी ट्रांसप्लांट किए गए थे, जो वहीं इस साल यह संख्या 200 पार हो चुकी है। इसी तरह बीते साल 25 लीवर ट्रांसप्लांट किए गए थे जो 2025 में बढ़कर 35 हो गए। इसी तरह यहां हार्ट, लंग्स, बोनमैरा ट्रांसप्लांट की सुविधा में भी इजाफा हुआ है।
मध्यप्रदेश में साल 2000 में इंदौर के प्राइवेट अस्पताल में पहला केडेवर किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। उसके बाद से आज तक 62 ग्रीन कॉरिडोर बन चुके हैं यानी 62 ब्रेनडेड लोगों के अंग दान हुए हैं, जिससे 206 लोगों को दूसरी जिंदगी मिली है। हालांकि ये आंकड़ा दूसरे राज्यों में हो रहे ऑर्गन डोनेशन के मुकाबले बेहद कम है।
मप्र में अंगदान या ट्रांसप्लांट का काम कुछ सालों पहले ही शुरू हुआ है। अब इसके प्रति जागरुकता बढ़ रही है। दूसरे राज्यों में इस पर दशकों से काम हो रहा है। लेकिन बीते कुछ सालों में ऑर्गन डोनेशन के प्रति जागरुकता बढ़ी है। अगले कुछ सालों में मप्र भी देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा।
डॉ. राकेश भार्गव, सचिव, किरण फाउंडेशन