Naresh Bhagoria
20 Dec 2025
Naresh Bhagoria
20 Dec 2025
Naresh Bhagoria
20 Dec 2025
इंदौर -- एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। सीनियर छात्रों पर सख्त और उदाहरणात्मक कार्रवाई न होने का सीधा नतीजा यह है कि रैगिंग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। कॉलेज प्रशासन की कमजोर पकड़ और ढीली कार्यवाही ने हालात इतने भयावह कर दिए हैं कि एक ही माह में दूसरी बार रैगिंग का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने मेडिकल शिक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
ताजा मामले में आरोप है कि पहले भी रैगिंग में शामिल रह चुके सीनियर छात्रों ने जूनियर विद्यार्थियों को अपने निजी फ्लैट पर बुलाया। वहां उनके साथ मारपीट की गई, जबरन डांस करवाया गया और शराब पीने के लिए मजबूर किया गया। यह खुलासा बताता है कि रैगिंग अब सिर्फ कॉलेज कैंपस तक सीमित नहीं रही, बल्कि सीनियरों ने इसे खुलेआम आपराधिक कृत्य का रूप दे दिया है।
इस बार हैरानी की बात यह रही कि मामले की शिकायत यूजीसी के बजाय एक अज्ञात पत्र के माध्यम से कॉलेज प्रबंधन तक पहुंची। इसके बाद एंटी-रैगिंग कमेटी द्वारा की गई जांच में पूरे घटनाक्रम की पुष्टि हुई। रैगिंग से पीड़ित विद्यार्थियों में इंदौर के एक प्रसिद्ध डॉक्टर का बेटा भी शामिल है, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
शिकायत के अनुसार, पीड़ित जूनियर विद्यार्थी वर्ष 2025 बैच के हैं, जबकि आरोप वर्ष 2024 बैच के सीनियर छात्रों पर लगे हैं। जूनियरों ने बताया कि सीनियरों ने उन्हें निजी फ्लैट पर बुलाकर पहले मारपीट की, फिर जबरन डांस करवाया और शराब पीने के लिए दबाव बनाया। विरोध करने पर उन्हें डराया-धमकाया गया, जिससे वे मानसिक रूप से टूट गए।
जांच में यह भी सामने आया है कि रैगिंग में शामिल दो सीनियर वही हैं, जो 18 नवंबर की घटना में भी शामिल थे। इन्हें कॉलेज प्रबंधन द्वारा एक माह के लिए सस्पेंड किया गया था। इसके बावजूद दोबारा रैगिंग की घटना सामने आना इस बात का सबूत है कि कॉलेज द्वारा की गई सस्पेंशन जैसी कार्रवाई का सीनियरों पर कोई असर नहीं पड़ा है। मामले में डीन अरविंद घनघोरिया ने केवल इतना कहा है कि प्रकरण की जांच की जा रही है।
रैगिंग की शिकायत के बाद सीनियर और जूनियर विद्यार्थियों को अलग-अलग एंटी-रैगिंग कमेटी के सामने बयान के लिए बुलाया गया। जांच में रैगिंग होने की स्पष्ट पुष्टि हुई है। हालत यह थी कि जूनियर विद्यार्थी इतने डरे हुए थे कि वे कमेटी के सामने खुलकर अपनी बात तक नहीं रख पा रहे थे, जो कॉलेज में फैले भय के माहौल को दर्शाता है।
हाल ही में जूनियर विद्यार्थियों ने एक और शिकायत कॉलेज प्रबंधन को सौंपी है। इसमें उन्होंने बताया कि सीनियर छात्र क्रिकेट खेलने के नाम पर उन्हें केवल फील्डिंग करवाते हैं, बैटिंग तक नहीं देते। घंटों तक एक ही जगह खड़ा रखा जाता है, जिससे मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जाती है। इस शिकायत की भी जांच जारी बताई जा रही है।
· 18 नवंबर को एमजीएम मेडिकल कॉलेज के जूनियर विद्यार्थियों ने यूजीसी में रैगिंग की शिकायत दर्ज कराई थी।
· 19 नवंबर को मामला कॉलेज प्रबंधन के संज्ञान में आया।
· 20 नवंबर को एंटी-रैगिंग सेल की बैठक हुई, जिसमें सीनियर और जूनियर दोनों के बयान लिए गए।
· इसके बाद चार सीनियर छात्रों को एक माह के लिए सस्पेंड किया गया।
· शिकायत में बताया गया था कि सीनियर आए दिन प्रताड़ित करते हैं, निजी फ्लैट पर बुलाकर मारपीट करते हैं, अपशब्द कहते हैं और शराब-सिगरेट पीने के लिए दबाव बनाते हैं।
· आरोप यह भी था कि 2024 बैच के सीनियर छात्रों ने जूनियरों को घंटों तक बंधक बनाकर रखा था।
इससे पहले अक्टूबर माह में भी रैगिंग का गंभीर मामला सामने आया था। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रथम वर्ष की पीजी छात्रा ने आरोप लगाया था कि वह मानसिक रूप से इतनी प्रताड़ित हो गई कि 14 दिन की छुट्टी लेकर घर चली गई। उसने दावा किया था कि चार माह में उसका 22 किलो वजन कम हो गया। हालांकि बाद में उसने अपनी शिकायत वापस ले ली थी, जिसने सिस्टम की कार्यप्रणाली पर और सवाल खड़े किए।
· दिसंबर 2024 में ‘प्लीज हेल्प मी’ नाम से बनाए गए एक्स अकाउंट पर होस्टल में रैगिंग की शिकायत सामने आई थी।
· इस मामले में 54 विद्यार्थियों के बयान लिए गए, लेकिन सभी ने रैगिंग से इंकार कर दिया।
· यूजीसी दिल्ली में की गई एक शिकायत में विद्यार्थी ने बताया था कि वर्ष 2018 बैच के सीनियर रोज रात 11 बजे से सुबह 6-7 बजे तक होस्टल की छत पर रैगिंग करते हैं।
· क्रिकेट और वॉलीबॉल के नाम पर बिना ब्रेक छह घंटे तक फील्डिंग करवाई जाती है।
· बीते दो वर्षों में एमजीएम मेडिकल कॉलेज में आठ से अधिक बार रैगिंग की शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं।
लगातार सामने आ रहे मामलों ने यह साफ कर दिया है कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रैगिंग एक संगठित और गहराई तक फैली समस्या बन चुकी है। यदि अब भी कॉलेज प्रशासन और शासन ने कठोर, स्थायी और उदाहरणात्मक कार्रवाई नहीं की, तो यह संस्थान पढ़ाई से ज्यादा डर, दहशत और प्रताड़ना के लिए जाना जाएगा।