Priyanshi Soni
16 Oct 2025
People's Reporter
16 Oct 2025
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16 Oct 2025
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16 Oct 2025
Mithilesh Yadav
15 Oct 2025
भोपाल। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता श्री पुनीत इस्सर, जिन्होंने महाभारत में ‘दुर्योधन’ का ऐतिहासिक किरदार निभाया था, अब भोपाल में अपने नए लाइव शो “जय श्री राम” के माध्यम से एक बार फिर दर्शकों के दिलों पर छा जाने को तैयार हैं। यह भव्य लाइव शो आगामी नवंबर माह में भोपाल में आयोजित किया जाएगा, जिसमें पुनीत इस्सर रावण और हनुमान जी के रूप में मंच पर नजर आएंगे।
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पुनीत इस्सर ने ‘दुर्योधन’ के अनुभव को याद करते हुए कहा, “दुर्योधन मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट रहा। इसमें नकारात्मक तत्व तो थे, लेकिन मित्रता और निष्ठा जैसी सकारात्मक बातें भी थीं। इसे निभाने से मेरी सोच और दृष्टिकोण दोनों बदल गए। लेकिन मैंने उसमें बहुत-सी सकारात्मक बातें भी पाईं। उसमें बाल सुलभ हठ तो था, लेकिन अपने मित्र के प्रति निष्ठा और समर्पण भी था। वह जो चाहता था, उसे पाने के लिए पूरी ताकत लगा देता था। बस उसका अहंकार, क्रोध और ईर्ष्या उसके पतन का कारण बने। पुनीत इस्सर का कहना है कि ‘महाभारत’ की शूटिंग उनके जीवन का यादगार दौर था। “तीन वर्षों तक रोज़ाना शूटिंग हुई। वह अनुभव अद्भुत था, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।
भोपाल में आयोजित होने वाले आगामी शो ‘जय श्रीराम रामायण’ में पुनीत इस्सर रावण की भूमिका में नज़र आएंगे। उन्होंने बताया कि यह तीन घंटे का भव्य मंचन होगा, जिसमें पूरे रामायण का सार प्रभु श्रीराम के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया जाएगा।
पुनीत इस्सर ने कहा, “श्रीमद्भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन है। यह रोज़मर्रा के संघर्ष का समाधान देती है। मैंने गीता से सीखा कि कर्म पर ध्यान देना चाहिए, फल पर नहीं।”
महाभारत के सह-कलाकार और मित्र पंकज धीर (कर्ण) के निधन पर पुनीत भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “हमारी दोस्ती केवल सेट तक सीमित नहीं थी। हमारे बच्चे एक-दूसरे के साथ बड़े हुए। पंकज मेरे लिए परिवार के समान थे।” अंत में पुनीत इस्सर ने साझा किया कि दुर्योधन के अनुभव ने उन्हें यह सिखाया कि शक्ति और प्रतिभा तभी पूरी होती है जब उसमें विनम्रता और विवेक हो।
शो का नाम: जय श्री राम
स्थान: भोपाल
मुख्य कलाकार: पुनीत इस्सर और सिद्धांत इस्सर
लाइव शो की लंबाई: 3 घंटे
मुख्य पात्र: दुर्योधन, रावण, हनुमान
अंत में पुनीत इस्सर ने कहा कि उन्होंने दुर्योधन से यही सीखा कि शक्ति और प्रतिभा तब तक अधूरी है, जब तक उसमें विनम्रता और विवेक न हो।