Peoples Reporter
28 Sep 2025
Manisha Dhanwani
12 Jul 2025
पीपुल्स संवाददाता, भोपाल । हर साल 15 अक्टूबर को वर्ल्ड स्टूडेंट डे मनाया जाता है, जो छात्रों के लिए समान शिक्षा, रचनात्मकता और उपलब्धियों को प्रोत्साहित करता है। यह दिन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर विशेष रूप से मनाया जाता है।
भोपाल में भी कुछ ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अपनी वैज्ञानिक सोच और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कुछ ऐसे इनोवेशन किए हैं जिनके लिए उनकी सराहना हुई है और कई रिसर्च पेपर और जर्नल में उनके शोध को प्रकाशित किया जा रहा है । इसके साथ ही स्टूडेंट इन्हें पेटेंट कराने की तैयारी कर रहे हैं।
आमतौर पर लोग अपनी प्लास्टिक की कुर्सी टेबल, कम्प्यूटर आदि में इस्तेमाल हार्ड प्लास्टिक कबाड़ में बेच देते हैं, लेकिन इनका प्रयोग ईंट बनाने में भी हो सकता है। यह ईंट, मिट्टी और फ्लाई ऐश से बनी ईंट की अपेक्षा सस्ती भी होगी। मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) के मटेरियल साइंस एवं मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में पढ़ रहे आदित्य सोनी और सिविल इंजीनियरिंग कर रहे आराध्य सोनी ने इस ईंट का नाम 'री-ब्रिक' रखा है, जो थर्मोसेटिंग प्लास्टिक और फ्लाई ऐश से तैयार की गई हैं। यह वो प्लास्टिक होता है, जो गर्म होने पर कठोर हो जाता है और फिर पिघलता नहीं है। एक बार आकार में ढल जाने के बाद इसे दोबारा नरम नहीं किया जा सकता। आदित्य बताते हैं, आमतौर पर इसे कोई रिसाइकिल नहीं करता। फिर हमने इन्हें रिसाइकिल कर ईंटें बनाने का फैसला लिया। आमतौर पर घरों में इस्तेमाल होने वाली मिट्टी की ईंट का जीवन सौ साल का है तो ये ईंटे 125 साल तक मजबूत और टिकाऊ बनी रहेंगी। स्टूडेंट इन्हें पेटेंट कराने की तैयारी कर रहे हैं।
मैनिट के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए एआई डिवाइस बनाई है। इस डिवाइस का नाम महाभारत के संजय के नाम पर रखा गया है। छात्र चिराग सक्सेना, रोहित कुमार, आयुष गुप्ता और अनंत श्रीवास्तव ने इसे डिजाइन किया है। यह दृष्टिबाधितों को रास्ते में पड़ने वाली अड़चनों से बचाएगी, साथ ही राह दिखाने में भी मदद करेगी। 'संजय' डिवाइस का कंट्रोल पूरी से हाथ के मूवमेंट पर आधारित होगा, जो दृष्टिबाधित लोगों को ट्रैवल और रोजमर्रा के कामों को आसान बनाने में भी सहायक होगी। यह पैनल मोबाइल के हॉटस्पॉट से कनेक्ट कर संचालित किया जा सकेगा। यह कैमरे के जरिए तस्वीर कैप्चर करेगा और कुछ सेकंड्स में प्रोसेस करने के बाद दृष्टिबाधित के कान में माइक्रोफोन के जरिए पता लग जाएगा कि उसके सामने कोई बाधा तो नहीं। इस डिवाइस को भी पेटेंट कराने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है।