Peoples Reporter
28 Sep 2025
Manisha Dhanwani
12 Jul 2025
पल्लवी वाघेला भोपाल । मैडम, हम संतान के लिए हर संभव प्रयास कर चुके थे। ऐसे में जब समाचार पत्र में यह विज्ञापन देखा तो तुरंत पहुंच गए। पुष्पांजलि अस्पताल और डॉ. वर्षा जैन ने हमें कहा कि सरोगेसी से संतान संभव है। लेकिन संतान तो नहीं मिली, आस जागने के बाद टूटने से मानसिक परेशानी अलग हुई। यह व्यथा चुना भट्टी निवासी उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता आयोग की बैंच क्रमांक दो के सामने रखी। मामले में उपभोक्ता ने क्लिनिक-डॉक्टर, सहयोगी संस्था और बीमा कंपनी सहित सरोगेट मदर और उसके पति के खिलाफ भी याचिका लगाई थी।
मामले में आयोग ने उदयपुर की संस्था मेसर्स निशा एसोसिएटस की तरफ से किसी के उपस्थित न होने पर एक तरफा कार्यवाही की। आयोग ने माना कि मामले में मेडिकल नेगलिजेंस नहीं हुआ, लेकिन यह सामने आया कि डॉ. जैन के पास प्रक्रिया करने संबंधी योग्यता प्रमाणित नहीं थी, साथ ही जो चेक मेसर्स निशा एसोसिएटस को दिए गए थे उनका जिक्र भी अस्पताल के बिल में नहीं था। इस आधार पर अस्पताल और डॉ. जैन को दायित्वहीन ठहराते हुए उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाते हुए ब्याज सहित जुर्माने की राशि चार लाख 23 हजार 500 रुपए चुकाने के आदेश दिए गए हैं। राशि इस अवधि में न देने पर उन्हें यह राशि 9 फीसद ब्याज से देनी होगी।
चूनाभटटी निवासी उपभोक्ता ने अपने आवेदन में बताया किसितंबर 2018 में बावडिया कलां पुष्पांजलि सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉ. वर्षा जैन से संपर्क किया था। यहां उन्हें सरोगेसी तकनीक को अपनाने की सलाह दी गई। हॉस्पिटल ने उदयपुर से सरोगेट मदर भूमि को बुलाया जिसमें किराया व अन्य व्यय के लिए 3 हजार रुपए लिए गए। साथ ही प्रक्रिया शुरू करने के पूर्व उपभोक्ता ने चार लाख रुपए का भुगतान किया। कुछ समय बाद डॉक्टर ने बताया कि सेरोगेट मदर का गर्भपात हो चुका है। कुछ समय बाद संपर्क किया तो डॉक्टर वर्षा ने कहा कि उन्होंने सरोगेसी का काम बंद कर दिया है। जमा राशि लौटाने को लेकर भी वे टालमटोल करते नजर आए। आखिर उपभोक्ता ने 2022 में परिवाद दायर किया।